रायगढ़ : चक्रधर नगर इंडस्ट्रियल एरिया में अभी तक उद्योग विभाग एक आदर्श माहौल नहीं बना पाया। भ्रष्टाचार और अनियमितता के कारण यहां मनमानी करते हुए प्लॉट आवंटित किए गए। कई व्यापारियों ने ज्यादा जमीन पर कब्जा कर लिया लेकिन कार्रवाई नहीं की गई। कलेक्टर ने इसकी जांच के आदेश दिए थे। अब यहां नापजोख शुरू की गई है। चक्रधर नगर औद्योगिक क्षेत्र में कुल 71 इकाईयों को प्लॉट आवंटित किए गए थे। उद्योग विभाग ने जमीन आवंटन में भी मनमानी की। किसी को 500 वर्गफुट जमीन दी तो किसी को 10 हजार वर्गफुट। प्लॉट के साइज पहले से तय नहीं किए गए। इस वजह से उद्योगों की स्थापना भी उसी तर्ज पर हुई।
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आवंटन के बाद उद्योग से उत्पादन प्रारंभ होने के बाद कारोबारियों को डीआईसी से उत्पादन प्रमाण पत्र लेना था। यह इस बात का प्र्रमाण है कि जिस उद्योग के लिए जमीन ली गई, वह उत्पादनरत है। लेकिन 13 इकाईयों के पास प्रमाण पत्र ही नहीं है। दस से ज्यादा इकाईयां ऐसी हैं जिनका प्रयोजन ही बदल गया। जिस काम के लिए जमीन ली गई थी, अब वहां अलग काम हो रहा है। आवंटित भूखंड से अधिक क्षेत्रफल पर निर्माण कर लिए गए हैं। आसपास सरकारी जमीन भी थी वह भी गायब है। अब इस मामले में जांच प्रारंभ की गई है। बुधवार को उद्योग विभाग की टीम ने कुछ प्रतिष्ठानों में जांच शुरू की है। सभी की जांच करने पर चौंकाने वाली सच्चाई सामने आएगी।
औद्योगिक क्षेत्र में सब्सिडी व अन्य लाभ पाने के लिए टाउन एंड कंट्री प्लानिंग ने निर्माण की अनुज्ञा दी थी। तय नक्शे के अनुरूप ही निर्माण होना था, लेकिन ज्यादातर ने उससे अलग ही निर्माण किए हैं। नगर तथा ग्राम निवेश ने इस पर एक बार भी संज्ञान नहीं लिया। कई ने उद्योग के बजाय मकान भी बना लिए। सरकारी जमीनें भी दबा ली गई। शहर के प्राइम लोकेशन में बेशकीमती जमीन कौडिय़ों के भाव मिल गई।
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