शुक्रवार 10 अक्टूबर को करवा चौथ है। यह पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। आधुनिक समय में अविवाहित लड़कियां भी करवा चौथ का व्रत रखती हैं। इस व्रत को करने से अविवाहित लड़कियों को मनचाहा पार्टनर मिलता है।
इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्रती के सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। सरगी से करवा चौथ के व्रत की शुरुआत होती है। वहीं, छलनी से चंद्र देव के दर्शन और पति को देखकर व्रत का समापन होता है। लेकिन क्या आपको पता है कि करवा चौथ के दिन क्यों छलनी से पति का चेहरा देखा जाता है? आइए, इसके बारे में सबकुछ जानते हैं-
ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - वक्त था निखरने का, ईमानदारी बिखर गई
कब मनाया जाता है करवा चौथ?
हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा चौथ मनाया जाता है। यह पर्व करवा माता को समर्पित होता है। कहते हैं कि कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर करवा माता की पूजा करने से पति की आयु लंबी होती है। साथ ही व्रती के सुख-सौभाग्य में अपार वृद्धि होती है। यह पर्व देशभर में धूमधाम से मनाया जाता है।
करवा चौथ व्रत और चंद्रोदय समय
करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth 2025) समय सुबह 06 बजकर 19 मिनट से लेकर शाम 08 बजकर 13 मिनट तक है। सुबह 05 बजकर 30 मिनट से पहले सरगी कर लें। इसके बाद व्रत प्रारंभ करें। वहीं, करवा चौथ का पूजा समय शाम 05 बजकर 57 मिनट से लेकर 07 बजकर 11 मिनट तक है। इस दौरान व्रती विधि-विधान से करवा माता की पूजा करें। जबकि, शाम 08 बजकर 13 मिनट पर चंद्रोदय होगा। इस समय चंद्र देव को अर्घ्य देकर व्रत खोलें।
क्यों छलनी से देखा जाता है पति का चेहरा?
सनातन धर्म में करवा चौथ व्रत का खास महत्व है। इस पर्व में चंद्र दर्शन के बाद व्रत खोला जाता है। इस समय पति का चेहरा भी छलनी से देखा जाता है। जानकारों की मानें तो पति की लंबी आयु के लिए करवा चौथ का व्रत की जाती है। इस शुभ अवसर पर करवा माता की पूजा की जाती है। इस व्रत के पुण्य-प्रताप से व्रती को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। छलनी से पति का चेहरा देखने पर प्रतिबिंब के बराबर सौभाग्य की प्राप्ति होती है। इसके लिए छलनी से चंद्र देव के दर्शन किया जाता है। इसके बाद पति का चेहरा देखा जाता है।
Comments