ट्रंप का 7 युद्ध खत्म कराने का दावा, नोबले प्राइज मिलने की कितनी संभावना?

ट्रंप का 7 युद्ध खत्म कराने का दावा, नोबले प्राइज मिलने की कितनी संभावना?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने नोबेल शांति पुरस्कार पाने की इच्छा जाहिर की है. उन्होंने इसके लिए जोर-शोर से पैरवी की. इतना ही नहीं, ट्रंप ने इसे पाने के लिए दबाव बनाने की कोशिश भी की है.

ट्रंप ने यह भी शिकायत की कि पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा को यह पुरस्कार बिना किसी वजह मिला था. हालांकि ट्रंप अपने आत्मविश्वास को बनाए हुए हैं, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के लिए थियोडोर रूज़वेल्ट, वुडरो विल्सन, जिमी कार्टर और बराक ओबामा जैसे शांति पुरस्कार विजेताओं की सूची में शामिल होना आसान नहीं होगा.

राजनीतिक नाटक और तमाशेबाज़ी में माहिर ट्रंप शुक्रवार सुबह 11 बजे नॉर्वेजियन नोबेल समिति द्वारा पुरस्कार की घोषणा का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं. इस बार उनकी कोशिश है कि शांति प्रक्रिया के पहले चरण में इज़रायल और हमास को एक समझौते पर लाया जाए.

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अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप का नोबेल शांति पुरस्कार के प्रति लगाव कोई नई बात नहीं है. अपने पहले कार्यकाल में उन्हें अब्राहम समझौते के लिए इस पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया था, जिसने इजरायल और अरब देशों के बीच संबंधों के सामान्यीकरण का मार्ग प्रशस्त किया था,

हालांकि इस बार ट्रंप ने अपनी महत्वाकांक्षा को खुलकर पेश किया है. उन्होंने दावा किया है कि उन्होंने पिछले कुछ महीनों में 6 से 7 युद्ध खत्म कराए हैं. जिनमें भारत और पाकिस्तान का संघर्ष भी शामिल है. ट्रंप का दावा है कि ये कभी भी परमाणु युद्ध में बदल सकता था.

एक ओर जहां पाकिस्तान ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित करके उनके अहंकार को बढ़ावा दिया है. वहीं, भारत इस दबाव के आगे नहीं झुका. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्पष्ट कह दिया कि युद्धविराम कराने में किसी तीसरे पक्ष की भूमिका नहीं है. इसका असर ये हुआ कि अमेरिका ने भारत पर 50 फीसदी टैरिफ लगा दिया और एक व्यापार समझौता अधर में है. हालांकि, पाकिस्तान का नामांकन ज्यादा अहमियत नहीं रखता. इसी तरह, इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, कंबोडिया और गैबॉन समेत अन्य देशों के नामांकन भी ज्यादा अहम नहीं है.

कारण आसान है- 1 फ़रवरी की समय सीमा से पहले कोई भी नामांकन जमा नहीं हुआ, इसलिए इस साल ट्रंप का नाम विचार के लिए अमान्य हो गया.

अगले साल के लिए मौका!

न्यूयॉर्क की कांग्रेस सदस्य क्लाउडिया टेनी ने अब्राहम समझौते में ट्रंप के नेतृत्व का हवाला देते हुए इस वर्ष का एकमात्र वैध नामांकन जमा किया. इस हिसाब से ट्रंप के लिए सबसे अच्छा मौका शायद अगले साल ही रहेगा.

ट्रंप का 7 युद्ध खत्म कराने का दावा

ट्रंप ने 7 युद्धों को खत्म कराने का दावा किया है और खुद को वैश्विक शांतिदूत के रूप में पेश किया. उन्होंने संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में भी अपने प्रयासों का बखान किया. पिछले महीने एक लंबे भाषण में ट्रंप ने कहा कि हर कोई कहता है कि मुझे इन सभी उपलब्धियों के लिए नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए.

वहीं, बुधवार को व्हाइट हाउस में मीडिया ब्रीफिंग के दौरान ट्रंप ने यह दावा फिर दोहराया. उन्होंने कहा कि हमने 7 युद्ध सुलझा लिए हैं. हम आठवें (गाज़ा युद्ध) को सुलझाने के करीब हैं. मुझे लगता है कि हम रूस के मामले को भी सुलझा लेंगे. मुझे नहीं लगता कि इतिहास में किसी ने इतने युद्ध सुलझाए हैं, लेकिन शायद वे मुझे यह पुरस्कार न देने का कोई बहाना ढूंढ लेंगे.

10 अक्टूबर को नोबेल शांति पुरस्कार की घोषणा को ध्यान में रखते हुए ट्रंप ने इज़रायल और हमास के बीच गाज़ा में 2 साल से चल रहे युद्ध को खत्म करने के लिए तेज़ प्रयास किए हैं. इसका केंद्र बिंदु 20-सूत्रीय शांति योजना है, जिसे ट्रंप अब तक का सबसे बड़ा शांति समझौता बता रहे हैं.

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ट्रुथ सोशल पर गुस्से वाला पोस्ट, जिसमें सभी शब्द कैपिटल लिखे गए थे, और नेतन्याहू के साथ फ़ोन पर कथित तौर पर अपशब्दों का इस्तेमाल, ज़मीनी हकीकत की परवाह किए बिना शांति समझौता करने की उनकी जल्दबाज़ी को दर्शाते हैं.

ट्रंप ने हर हथकंडा अपनाया

ट्रंप ने अपनी हालिया पोस्ट में कहा था कि मैं सभी से तेज़ी से आगे बढ़ने का आग्रह करता हूं, समय की कमी है, वरना भारी रक्तपात होगा. ऐसा कुछ जो कोई नहीं देखना चाहता. उन्होंने फिलहाल शांति की आधारशिला तैयार कर दी है, लेकिन अंतिम समझौता अभी बाकी है. इसके अलावा ट्रंप ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ अपने संबंधों का इस्तेमाल किया और मास्को के व्यापारिक साझेदारों पर टैरिफ लगाकर तीन साल से चल रहे रूस-यूक्रेन युद्ध को समाप्त करने की कोशिश भी की. हालांकि, इस प्रयास का कोई परिणाम नहीं निकला.

क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स?

एक्सपर्ट्स का कहना है कि ट्रंप के लिए नोबेल शांति पुरस्कार जीतने की संभावना बहुत कम है. क्योंकि नोर्वे की नोबेल समिति विजेता का चयन करते समय स्थायी और वास्तविक प्रयासों को प्राथमिकता देती है, न कि त्वरित कूटनीतिक जीत या मीडिया को दिखाने वाले दावों को. ट्रंप के दावे उनके अनुसार, ज़मीनी हकीकत से मेल नहीं खाते या अतिरंजित लगते हैं. उनके कथित शांति प्रयासों में अगस्त में आर्मेनिया और अज़रबैजान के बीच हुए संघर्ष को भी शामिल किया गया है. यह विवाद नागोर्नो-काराबाख क्षेत्र को लेकर 4 दशकों से जारी है.

कितने सच्चे हैं ट्रंप के दावे?

विशेषज्ञों का कहना है कि ट्रंप के दावे अक्सर वास्तविक शांति समझौते से ज़्यादा अमेरिका के साथ व्यापार और आर्थिक साझेदारी पर आधारित हैं. विदेश नीति की अपनी उपलब्धियों का बखान करते समय ट्रंप ने बार-बार अल्बानिया की जगह आर्मेनिया कहकर यह भी दिखाया कि उन्हें विवरणों की परवाह कम है. इसके अलावा ट्रंप ने कांगो और रवांडा के बीच जंग समाप्त करने का दावा किया, लेकिन संघर्ष के मुख्य पक्षों में से एक M23 समूह, व्हाइट हाउस की बैठक में शामिल ही नहीं था और कांगो में हिंसा अब भी जारी है.

ट्रंप सिर्फ एक जंग रुकवाने का दावा कर सकते हैं

एक्सपर्ट्स ने कहा कि ट्रंप ने सर्बिया और कोसोवो के बीच नए युद्ध को टालने का भी दावा किया है, हालांकि दक्षिण-पूर्वी यूरोपीय ये देश पिछले एक दशक से सक्रिय युद्ध में शामिल नहीं हैं. ट्रंप केवल एक वास्तविक संघर्ष को रोकने का दावा कर सकते हैं और वो है जुलाई में थाईलैंड और कंबोडिया के बीच हुए हवाई हमले. इस मामले में मलेशिया भी प्रमुख मध्यस्थ था. इसके अलावा, ट्रंप ने कहा कि तेल अवीव द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले के बाद उन्होंने इज़रायल और ईरान के बीच युद्धविराम कराया. हालांकि ये युद्धविराम अमेरिका और इज़रायल द्वारा ईरान में भूमिगत परमाणु स्थलों पर बमबारी करने के बाद ही हुआ. ये पहलू आमतौर पर नोबेल शांति पुरस्कार के मानदंडों और पिछले रुझानों के अनुरूप नहीं हैं.

8 महीनों में 7 बार नोबेल पुरस्कार के बारे में पोस्ट

इस साल अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत के बाद से ट्रंप अपनी विरासत को आकार देने की कोशिश में हैं. एनबीसी न्यूज़ के अनुसार, पिछले 8 महीनों में ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर 7 बार नोबेल पुरस्कार के बारे में पोस्ट किया है. इसके अलावा उन्होंने नॉर्वे को भी इस मामले में उकसाया. नॉर्वे के एक समाचार आउटलेट के अनुसार जुलाई में ट्रंप ने देश के वित्त मंत्री जेन्स स्टोलटेनबर्ग को फ़ोन किया और टैरिफ पर चर्चा के साथ-साथ नोबेल पुरस्कार का मुद्दा उठाया.

'ट्रंप नोबेल आदर्शों के विपरीत'

इतिहासकार ओइविंड स्टेनर्सन, जिन्होंने नोबेल शांति पुरस्कार पर किताब लिखी है, उन्होंने एएफपी को बताया कि ट्रंप कई मायनों में उन आदर्शों के विपरीत हैं जिनका प्रतिनिधित्व नोबेल पुरस्कार करता है. नोबेल शांति पुरस्कार बहुपक्षीय सहयोग की रक्षा के लिए है.

शांति पुरस्कार के संभावित दावेदार कौन?

अगर ट्रंप को यह पुरस्कार नहीं मिलता, तो इसके संभावित दावेदार कौन हैं? पिछले वर्षों के रुझानों से पता चलता है कि नोबेल समिति अक्सर पर्दे के पीछे चुपचाप काम करने वाले व्यक्तियों या संगठनों को प्राथमिकता देती है. उदाहरण के लिए पिछले साल ये पुरस्कार जापान के परमाणु बम पीड़ितों के समूह निहोन हिडांक्यो को दिया गया था. दरअसल, 2025 संघर्षों का वर्ष रहा है, इसलिए इस साल नोबेल समिति मीडिया निगरानी और आपातकालीन राहत कार्यों में लगे संगठनों को सम्मानित कर सकती है. इसमें सूडान के आपातकालीन प्रतिक्रिया कक्ष और पत्रकारों की सुरक्षा समिति, साथ ही बिना सीमाओं के रिपोर्टर्स जैसे संगठन शामिल हैं. इसके अलावा प्रखर रूसी आलोचक एलेक्सी नवलनी की विधवा यूलिया नवलनया भी संभावित दावेदारों में मानी जा रही हैं.









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