एसडीएम ने पटवारी को किया निलंबित..जानें क्यों मचा बवाल

एसडीएम ने पटवारी को किया निलंबित..जानें क्यों मचा बवाल

बिलासपुर : घटना शुक्रवार की है, जब एसडीएम कार्यालय में राजस्व कार्यों की समीक्षा बैठक बुलाई गई थी।  बैठक में खमतराई पटवारी रमेश वैष्णव लगभग डेढ़ घंटे की देरी से पहुंचे। जब एसडीएम ने देरी का कारण पूछा, तो वैष्णव ने कथित तौर पर जवाब दिया — “नहीं बताऊंगा, जो करना है कर लो।”इस जवाब को गंभीर अनुशासनहीनता मानते हुए एसडीएम ने तत्काल प्रभाव से उन्हें निलंबित कर दिया।

खमतराई के पटवारी रमेश कुमार वैष्णव के निलंबन ने पूरे प्रशासनिक तंत्र में हलचल मचा दी है।छत्तीसगढ़ पटवारी एसोसिएशन ने इस कार्रवाई को एकतरफा, अनुचित और बिना सुनवाई के तानाशाही निर्णय” करार देते हुए प्रदेशभर में हड़ताल की चेतावनी दे डाली है।

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पटवारी संघ ने बताया जल्दबाजी

निलंबन आदेश जारी होते ही छत्तीसगढ़ पटवारी एसोसिएशन ने तीखी प्रतिक्रिया दी। संघ के प्रदेश संयोजक बी.एस. राजपूत ने बयान जारी करते हुए कहा कि यह फैसला पूरी तरह एकतरफा और जल्दबाजी में लिया गया है। उन्होंने कहा, वर्तमान में पटवारियों पर एग्रीस्टेक, गिरदावरी सत्यापन, भूमि अभिलेखों के डिजिटलीकरण जैसे छह से अधिक कार्य एक साथ चल रहे हैं। ऐसे में यदि किसी मीटिंग में थोड़ी देरी हो जाए तो उसे निलंबन का आधार बनाना मनमानी है। ग्रुप में भेजे गए संदेश को देर से देख लेना अपराध नहीं हो सकता।

निलंबन नहीं हटाया  तो राज्यव्यापी हड़ताल

एसोसिएशन ने शासन-प्रशासन को दो टूक चेतावनी दी है कि अगर निलंबन आदेश बिना शर्त वापस नहीं लिया गया, तो प्रदेशभर के पटवारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले जाएंगे। संघ ने कहा कि पटवारी राजस्व व्यवस्था की रीढ़ हैं और इस तरह की कार्रवाई से उनका मनोबल टूटेगा, जिससे पूरे प्रदेश की राजस्व प्रणाली पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।

वर्कलोड का दबाव.. बढ़ती मुश्किलें

पटवारी संघ ने बताया कि इन दिनों फील्ड में कार्य का दबाव कई गुना बढ़ गया है। गिरदावरी, सीमांकन, नामांतरण, एग्रीस्टेक ऐप में डेटा एंट्री और भूमि सत्यापन जैसे कार्यों में लगातार दबाव है। ऐसे में, बिना कारण सुनवाई के निलंबन जैसी कार्रवाई न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि प्रशासनिक रूप से असंवेदनशील भी है।

प्रशासन बनाम एसोसिएशन

एक ओर प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई अनुशासन बनाए रखने के लिए आवश्यक थी, वहीं दूसरी ओर पटवारी संघ का मानना है कि इस तरह के निर्णयों से केवल मानसिक दबाव और असंतोष का माहौल बनता है। दोनों पक्षों के बीच टकराव की स्थिति अब खुलकर सामने आ चुकी है। यदि विवाद जल्द नहीं सुलझा, तो आने वाले दिनों में बिलासपुर समेत पूरे प्रदेश में राजस्व कार्य ठप पड़ने की आशंका है।

प्रदेश स्तर पर तूल पकड़ता मामला

बिलासपुर से उठी यह चिंगारी अब प्रदेशभर में फैलने लगी है। कई जिलों के पटवारी संघों ने एकजुट होकर समर्थन देने की घोषणा की है। एसोसिएशन ने कहा है कि आने वाले दिनों में वे राज्य मुख्यालय में ज्ञापन सौंपेंगे और आवश्यकता पड़ी तो आंदोलन को तेज किया जाएगा।









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