परमेश्वर राजपूत, गरियाबंद / छुरा : देश का भविष्य कहे जाने वाले युवा आज नशे की गिरफ्त में तेजी से फंसते जा रहे हैं। गांव हो या शहर, नशे का जाल हर ओर फैल चुका है। शराब, गांजा, अफीम, ब्राउन शुगर और नशीली दवाओं की आसान उपलब्धता ने युवाओं को भटका दिया है। रोजगार और दिशा के अभाव में युवा वर्ग नशे की दलदल में उतरता जा रहा है। कई परिवार अपने बेटों को इस आदत से छुड़ाने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन नशे के बढ़ते कारोबार ने हालात को और भी गंभीर बना दिया है। इस नशे की गिरफ्त में नाबालिग बच्चे भी अछुते नहीं है।
इधर महंगाई ने आम जनता की कमर तोड़ रखी है। रसोई गैस, खाद्य तेल, सब्जियां, पेट्रोल-डीजल और दैनिक जरूरत की हर वस्तु के दाम लगातार बढ़ते जा रहे हैं। गरीब और मध्यम वर्गीय परिवारों को गुजारा करना मुश्किल हो गया है। आम जनता के लिए घर का बजट संभालना अब किसी चुनौती से कम नहीं। अभी दीपावली पर्व पर बाजारों में भीड़ नजर नहीं आ रही है वहीं व्यापारी वर्ग का भी कहना है कि शायद इस बार दिपावली पर्व फीकी रहेगी। ग्रामीण अंचलों की बात करें तो लोग इस वर्ष अपने घरों की पुताई भी नहीं करा पा रहे हैं उनका कहना है कि कम दिनों का धान का फसल तैयार हो चुका था लेकिन बारिश के चलते कटाई नहीं हो पाया और धान की फसल के बिना दीपावली की कोई खरीदारी नहीं कर पा रहे हैं।
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इन सबके बावजूद सरकार के रवैये में कोई ठोस सुधार नहीं दिख रहा है। जनता की परेशानियों से बेखबर शासन-प्रशासन अपनी उपलब्धियों के गुणगान में लगा हुआ है। नशे के बढ़ते प्रकोप और महंगाई की समस्या पर ठोस कार्रवाई की बजाय केवल आश्वासन दिए जा रहे हैं। एक तरफ लोग बिजली बिल की बढ़ोत्तरी से परेशान हैं उपभोक्ताओं की मानें तो पहले जिन घरों का बिल पांच सौ रुपए तक आता था उसका बिल स्मार्ट मीटर लगने के बाद एक हजार तक आने लगा है लोगों का कहना है कि मीटर स्मार्ट लगने के साथ बिजली बिल भी स्मार्ट हो गया है। आम लोग बिजली बिल की बढ़ोत्तरी से काफी परेशान हैं।
यदि हालात पर तुरंत अंकुश नहीं लगाया गया, तो आने वाले समय में समाज पर इसके दुष्परिणाम और भी भयावह हो सकते हैं। अब जनता सवाल पूछ रही है — “कब जागेगी सरकार? जनता त्रस्त है, पर सरकार मस्त क्यों?”
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