इमरजेंसी सर्विस डायल-112 की 400 से ज्यादा गाड़ियों को चलाने के लिए पुलिस मुख्यालय ने नए सिरे से टेंडर जारी किया

इमरजेंसी सर्विस डायल-112 की 400 से ज्यादा गाड़ियों को चलाने के लिए पुलिस मुख्यालय ने नए सिरे से टेंडर जारी किया

इमरजेंसी सर्विस डायल-112 की 400 से ज्यादा गाड़ियों को चलाने के लिए पुलिस मुख्यालय ने नए सिरे से टेंडर जारी किया है। इसमें आधा दर्जन से ज्यादा कंपनियां शामिल हुई हैं और इनका प्री-बिड भी हो चुका है। लेकिन टेंडर प्रक्रिया को लेकर विवाद भी खड़ा हो गया है। विवाद इसलिए खड़ा हुआ, क्योंकि डायल-112 शुरू करने के दौरान सरकार द्वारा बनाए गए टेंडर शर्तों को एकाएक बदल दिया गया है। पिछले दो टेंडर में केवल लिमिटेड और प्राइवेट लिमिटेड कंपनियों को ही टेंडर में भागीदारी की अनुमति दी गई थी। इस बार तीसरा प्रावधान जोड़ते हुए सोसायटी को भी शामिल किया गया है।

हालांकि यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि किस तरह की सोसायटी इसमें भाग ले सकेंगी। लेकिन चर्चा है कि किसी विशेष कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए इस नियम को बदला गया है। नए नियम में ट्रक, बस या मालवाहक वाहनों का संचालन करने वाली कंपनियां भी इसमें भाग ले सकेंगी। टेंडर प्रक्रिया जारी है और इसकी अंतिम तिथि 29 अक्टूबर तय की गई है। दो माह में पूरी प्रक्रिया पूरी कर किसी एक कंपनी को ठेका दिया जाएगा।

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शुरुआती दो टेंडर एक ही नियम से, अब बदला गया

राज्य में इमरजेंसी सर्विस डायल-112 की शुरुआत वर्ष 2018 में हुई थी। इसके लिए 2017 में टेंडर निकाला गया था। एडीजी आरके विज की कमेटी ने विस्तृत चर्चा के बाद टेंडर की शर्तें तय की थीं। इन्हीं शर्तों के आधार पर 2024-25 में भी टेंडर जारी किया गया था। लेकिन सरकार बदलने के बाद उसे निरस्त कर दिया गया। अब तीसरी बार फिर से नया टेंडर निकाला गया है।

फिर खरीदी गईं 400 गाड़ियां अभी अमलेश्वर में खड़ी हैं

राज्य के 33 जिलों में डायल-112 की सेवा शुरू करने के लिए पुलिस मुख्यालय ने दो माह पहले 400 नई गाड़ियां की खरीदी की। ये 2024-2025 मॉडल की गाड़ियां हैं, जो फिलहाल अमलेश्वर बटालियन में खड़ी हैं। एक गाड़ी की कीमत लगभग 15 लाख है। ये गाड़ियां करीब छह माह तक निष्क्रिय रहेंगी। क्योंकि एबीपी कंपनी का अनुबंध जनवरी तक बढ़ा दिया गया है। फरवरी से पहले पीएचक्यू को नई कंपनी को ठेका देना होगा।

टेंडर में शामिल 2 कंपनियां108 एंबुलेंस चला चुकी हैं

टेंडर में जो कंपनियां शामिल हुईं हैं, उनमें जीवीके, सम्मान फाउंडेशन, कम्युनिटी एक्शन थ्रू मोटिवेशन प्रोग्राम (कैम्प), बीवॉयजी, विजन प्लस, जय अंबे और एबीपी कंपनी हैं। चर्चा है कि जीवीके या जय अंबे को डायल-112 का ठेका देने की तैयारी है। दोनों कंपनियां पहले भी छत्तीसगढ़ में 108 एंबुलेंस सेवा चला चुकी हैं। वहीं, कैम्प इस समय नि:शुल्क शव वाहन सेवा संचालित कर रही है।

एमपी में दिया गया सोसायटी को टेंडर

डायल-112 का टेंडर पहले टाटा कंपनी को दिया गया था। टाटा का अनुबंध खत्म हो गया है। अब इसका संचालन का जिम्मा सी-डैक को दिया गया है। सी-डैक आईटी का काम देख रही है। यह भी एक सोसायटी है। एमपी में भी डायल-112 का संचालन सोसायटी को दिया गया है। एमपी में जिस कंपनी को ठेका है, वही गाड़ी खरीदती है।

और ये हैं टेंडर के नए नियम…

  1. इस बार सोसायटी को भी शामिल किया गया है, पर यह स्पष्ट नहीं है कि किस प्रकार की सोसायटी को पात्र माना जाएगा।
  2. बैक-टू-बैक पिछले तीन वर्षों का अनुभव मांगा गया है।
  3. 108 संजीवनी एक्सप्रेस की तरह, इस बार टेंडर में कहीं भी इमरजेंसी वाहन या डायल-112 का उल्लेख नहीं है।
  4. पिछले 3 वर्षों की सेवा में फील्ड सर्विस का 75 करोड़ का टर्नओवर मांगा गया है
  5. आईटी, ट्रांसपोर्टिंग और अन्य कार्य अलग-अलग कंपनियों को देंगे।









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