बस्तर में 21 नक्सलियों ने छोड़ा लाल आतंक का साथ,13 महिला नक्सली शामिल

बस्तर में 21 नक्सलियों ने छोड़ा लाल आतंक का साथ,13 महिला नक्सली शामिल

बस्तर  : छत्तीसगढ़ के बस्तर में 21 नक्सलियों ने लाल आतंक का साथ छोड़ मुख्यधारा में लौट आए। हथियारों संग सरेंडर करने वाले नक्सलियों में 4 डीवीसीएम (DVCM),9 एसीएम (ACM) और 8 पार्टी सदस्य शामिल हैं। आत्मसमर्पण करने वालों में 13 महिला कैडर और 8 पुरुष कैडर हैं। केशकाल डिवीजन (नॉर्थ सब जोनल ब्यूरो) की कुएमारी/किस्कोडो एरिया कमेटी के कुल 21 लोगों ने आज शासन के सामने आत्मसमर्पण कर दिया।

कैडरों ने 18 हथियार भी सौंपे हैं जिनमें 3 एके-47 राइफलें,4 एसएलआर राइफलें,2 इंसास राइफलें,6 (.303) राइफलें,2 सिंगल शॉट राइफलें और 1 बीजीएल हथियार शामिल हैं। उपमुख्यमंत्री (Dy CM) विजय शर्मा ने कहा,"आज 21 नक्सलवादी जिनमें 13 महिलाएं और 8 पुरुष हैं,का पुनर्वास किया गया है। इन 21 सदस्यों में 4 डीवीसीएम (DVCM) स्तर के, 9 एसीएम (ACM) स्तर के और बाकी पार्टी सदस्य हैं। उन्होंने 18 हथियार भी सौंपे हैं जिनमें 3 एके-47, 2 इंसास, 4 एसएलआर और अन्य हथियार शामिल हैं।"

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उपमुख्यमंत्री ने आगे कहा, "बस्तर की जनता इस लाल आतंक से छुटकारा पाना चाहती है और इन आत्मसमर्पण करने वाले ने बस्तर की जनता के मन की बात को समझा है। इनका रेड कार्पेट वेलकम (भव्य स्वागत) किया जाएगा।" उन्होंने यह भी बताया,"नॉर्थ बस्तर और वेस्ट बस्तर लगभग शांत हो गए हैं। जो लोग साउथ बस्तर में अभी भी सक्रिय हैं,मैं उनसे निवेदन करता हूं कि वे मुख्यधारा में लौट आएं और बस्तर की जनता की भावनाओं को समझें।"

इस मौके पर सीएम विष्णुदेव साय ने कहा कि आज कांकेर जिले में पूना मारगेम-पुनर्वास से पुनर्जीवन पहल के तहत 21 नक्सलियों ने हिंसा का रास्ता छोड़कर आत्मसमर्पण किया है। यह हमारी आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति 2025 और नियद नेल्ला नार योजना की सफलता का सार्थक प्रमाण है,जिससे नक्सल प्रभावित इलाकों में विश्वास और बदलाव की नई बयार बह रही है।

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माओवाद की झूठी विचारधारा से भटके युवा अब यह समझने लगे हैं कि बंदूक नहीं,विकास की राह ही भविष्य का सही विकल्प है। हम इन आत्मसमर्पित नक्सलियों के पुनर्वास और पुनरुत्थान के लिए पूर्णतः प्रतिबद्ध हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के मार्गदर्शन और केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह जी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने बस्तर के लोगों का विश्वास जीता है,उसी का परिणाम है कि लगातार माओवादी संगठन कमजोर हो रहे हैं और बड़ी संख्या में वे हिंसा का रास्ता छोड़ रहे हैं। बस्तर अंचल में नक्सलवाद की कमर टूट चुकी है है और बस्तर तेजी से शांति और विकास की ओर बढ़ रहा है। हमारी डबल इंजन की सरकार 31 मार्च 2026 तक देश को नक्सलमुक्त बनाने के लिए संकल्पबद्ध है।









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