छठ पूजा का चौथा दिन, यानी कार्तिक शुक्ल सप्तमी, इस कठोर 36 घंटे के निर्जला व्रत के समापन का दिन होता है। इस दिन व्रती उगते हुए सूर्य यानी ऊषा अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं। पारण केवल व्रत खोलना नहीं है, बल्कि छठी माता और सूर्य देव की पूर्ण कृपा पाने का भी दिन होता है, क्योंकि इसी पर व्रत की सफलता निर्भर करती है।
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ऊषा अर्घ्य समय
छठ व्रत पारण विधि
पारण में क्या खाना चाहिए?
व्रत पारण का भोजन हमेशा सात्विक और हल्का होना चाहिए ताकि लंबे उपवास के बाद शरीर को कोई परेशानी न हो।
सबसे पहले छठी मैया को चढ़ाए गए मुख्य प्रसाद जैसे ठेकुआ और कसार लड्डू खाकर व्रत खोलें।
बांस की टोकरी में चढ़ाए गए मौसमी फल का सेवन करें।
व्रत खोलने के बाद व्रती को सात्विक और हल्का भोजन ही करना चाहिए।
इस दिन भी लहसुन, प्याज या किसी भी प्रकार के तामसिक भोजन का सेवन पूरे परिवार के लिए वर्जित होता है।
व्रती के प्रसाद ग्रहण करने के बाद ही, परिवार के अन्य सदस्य प्रसाद और भोजन का सेवन करें।
अर्घ्य मंत्र



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