सरगुजा : वैज्ञानिक नाम निलोफर हुदहुद,मोन्था, और न जाने किन किन नामों से आने वाले चक्रवाती तूफानों के कारण होने वाली बेमौसम बारिश के असर से क्षेत्र के किसान प्रभावित होते रहे हैं। कुछ जानकारो का मानना है इस साल सरगुजा संभाग में सबसे अधिक रिकार्ड बारिश हुई है अब जबकि मानसून के लौट जाने के बाद आसमान साफ होने चाहिए थे छाये बादलों के कारण नहीं हो सका है। साथ ही गुलाबी ठंड ने दस्तक दे दिया होता मगर अनवरत जारी बारिश ने क्षेत्र के किसानों की चिंता बढ़ा दिये है। दरअसल खेतों में धान फसल पककर तैयार हो चुके हैं । रोज दिन होने वाले बारिश ने कटाई मिसाई कार्य पर विराम लगा दिया है चाह कर भी किसान अपने खेतों के धान नहीं काट पा रहे हैं। कुछ कटे हुए हैं वह खेत में पड़े पड़े ख़राब होने के कगार पर है। वहीं आलू बोनी में भी लेट लतीफी हो रही है अन्य सब्जी फसल प्रभावित हैं।
ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी - कलमवीर अब दस्यु सरदार बन गए
हाथ से धान कटाई के लिए महिला मजदूरों का मिलना तकरीबन नामुमकिन है। लिहाजा धान काटने वाला हार्वेस्टर मशीन का सहारा किसानों को है। लेकिन जमीन गीली होने कारण मशीन खेतों में चल नहीं सकती। बारिश रूकने का इंतजार किया जा रहा है। अबतक के स्थिति में खेत के धान अपने पकने की अवधि से आगे निकल चुके। कुछ लेट से पकने वाले धान फसल के लिए होने वाली बारिश लाभकारी है। खेत से खलिहान तक धान फ़सल को लाना किसानों के लिए दुश्वार हो गया है। आसमानी मेघों के तेवर देख किसान हैरान हैं कटाई में विलम्ब होती जा रही है। मिलों तलक दूर तक खेतों में धान फसल पककर कटने को तैयार हैं लेकिन मौसम को गवारा नहीं है। चक्रवाती बारिश के तबाही से किसान सदमे में हैं। तूफान के थमने के इंतजार में है।



Comments