चिंतामण गणेश मंदिर का इतिहास : इस मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन करने से दूर होती है हर चिंता

चिंतामण गणेश मंदिर का इतिहास : इस मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन करने से दूर होती है हर चिंता

सनातन धर्म में बुधवार का दिन भगवान गणेश को प्रिय है। इस दिन भगवान गणेश की भक्ति भाव से पूजा की जाती है। साथ ही मनचाही मुराद पाने के लिए साधक बुधवार के दिन व्रत भी रखते हैं। भगवान गणेश की पूजा करने से सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है।

साथ ही सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है। लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में एक ऐसा मंदिर भी है, जहां भगवान गणेश के दर्शन मात्र से न केवल हर मनोकामना पूरी होती है, बल्कि मानसिक तनाव और चिंता से भी मुक्ति मिलती है? आइए, इस मंदिर के बारे में जानते हैं-

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चिंतामण गणेश मंदिर का इतिहास

भगवान गणेश को चिंतामण मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में स्थित है। यह मंदिर स्वयं-भू है। आसान शब्दों में कहें तो इस मंदिर के प्रांगण में भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयं से प्रकट हुई है। सनातन शास्त्रों में निहित है कि त्रेता युग में वनवास के दौरान एक बार मां जानकी को प्यास लगी थी। उस समय भगवान श्रीराम ने तीर चलाकर पृथ्वी का भेदन किया। इससे जलधारा निकली। तब मां जानकी ने पानी ग्रहण (पानी पिया) किया था।

तत्कालीन समय से मंदिर परिसर में आज भी कुंआ है। वहीं, मंदिर में भगवान गणेश की तीन प्रतिमाएं हैं, जिन्हें चिंतामण गणेश, इच्छामण गणेश और सिद्धिविनायक कहते हैं। इस मंदिर में भगवान गणेश के दर्शन मात्र से हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।

चिंतामण गणेश मंदिर

श्री चिंतामण गणेश मंदिर मध्य प्रदेश के उज्जैन में है। यह मंदिर उज्जैन से 8 किलोमीटर की दूरी पर है। वहीं, उज्जैन बस स्टैंड से भी 8 किलोमीटर की दूरी पर श्री चिंतामण गणेश मंदिर है। जबकि, एयरपोर्ट से 60 किलोमीटर की दूरी पर श्री चिंतामण गणेश मंदिर है। मंदिर के आसपास श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं हैं। बड़ी संख्या में साधक भगवान गणेश के दर्शन के लिए श्री चिंतामण गणेश मंदिर आते हैं। श्रद्धालु अपनी सुविधा अनुसार बस, ट्रेन या फ्लाइट से चिंतामण गणेश मंदिर पहुंच सकते हैं।









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