रायपुर : भारतमाला परियोजना घोटाले के मामले में तीन पटवारियों की गिरफ्तारी के बाद अभनपुर के पूर्व एसडीएम निर्भय साहू, आरआई रोशनलाल वर्मा, तहसीलदार शशिकांत कुर्रे, नायब तहसीलदार लखेश्वर किरण और पटवारी जितेंद्र साहू फरार हो गए हैं। इन सभी की जमानत हाई कोर्ट द्वारा रद कर दी गई है। आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो (ईओडब्ल्यू) व एसीबी की टीम इनकी तलाश कर रही है और संपत्तियों को कुर्क करने की प्रक्रिया भी शुरू करने जा रही है।
इस मामले में राजस्व विभाग की सचिव रीना बाबा साहेब कंगाले से जानकारी लेने की कोशिश की गई, लेकिन उन्होंने अवकाश पर होने का हवाला देते हुए कुछ कहने से मना कर दिया। भारतमाला परियोजना में भूमि अधिग्रहण मुआवजे के वितरण में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार का मामला सामने आया है। इसके बाद राज्य के 11 जिलों के वरिष्ठ अधिकारी और राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचआई) के अधिकारी भी जांच के दायरे में आ गए हैं। राज्य सरकार द्वारा तैयार की गई विस्तृत जांच रिपोर्ट केंद्र को भेजी गई है।
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छापे की भनक लगते ही हो गए फरार
इसके बाद केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्रालय इस मामले को सीबीआइ या ईडी को सौंपने पर विचार कर रहा है। भारतमाला प्रोजेक्ट में 43 करोड़ रुपये के मुआवजा घोटाले की जांच कर रही ईओडब्ल्यू ने हाल ही में आठ ठिकानों पर छापेमारी की। इस दौरान तीन पटवारियों, दिनेश पटेल (नायकबांधा), लेखराज देवांगन (टोकरो) और बसंती धृतलहरे (भेलवाडीह) को गिरफ्तार किया गया। छापे की भनक लगते ही तत्कालीन एसडीएम निर्भय साहू समेत पांच अधिकारी अपने ठिकानों से फरार हो गए।
जमीन को टुकड़ों में बांटकर फर्जी नामांतरण किए
इससे पहले प्रापर्टी डीलर हरमीत खनूजा, कारोबारी विजय जैन, केदार तिवारी और उनकी पत्नी उमा तिवारी को गिरफ्तार किया गया था, जिन्हें बाद में कोर्ट से जमानत मिल गई। किसानों ने मुआवजा राशि निर्धारण में गड़बड़ी का आरोप लगाया है। एक ही जमीन को कई टुकड़ों में बांटकर फर्जी नामांतरण कराए गए, जिससे सरकार को करोड़ों का नुकसान हुआ। धमतरी कलेक्टर अविनाश मिश्रा ने मामले की जांच कराने की बात कही है। दुर्ग के पाटन ब्लाक के 1349 किसानों की भूमि अधिग्रहण से जुड़ी अनियमितताओं पर भी आवेदन प्राप्त हुए हैं।
11 जिलों में भारी गड़बड़ी, की जा रही जांच
रायपुर के अलावा दुर्ग, धमतरी, कांकेर, कोंडागांव, कोरबा, रायगढ़, जशपुर, राजनांदगांव, बिलासपुर और जांजगीर-चांपा में मुआवजा वितरण में गड़बड़ियों की जांच की जा रही है। मुआवजा स्वीकृति का अंतिम अधिकार कलेक्टर के पास होता है, इसलिए यह जांच की जा रही है कि क्या एसडीएम के माध्यम से धनराशि का हिस्सा ऊपर तक पहुंचाया गया था।
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सीबीआई जांच की मांग कर रहे नेता
प्रतिपक्ष नेता प्रतिपक्ष डॉ. चरणदास महंत ने इस मामले की सीबीआइ जांच की मांग की है और प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। रायपुर सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से भी चर्चा की है। अनुमान है कि इस भ्रष्टाचार की राशि 200 करोड़ रुपये से अधिक हो सकती है। केंद्र सरकार ने इस मुद्दे पर रिपोर्ट मांगी थी, जिसे राज्य ने भेज दिया है।



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