अभी और कितना गिरेंगी सोने की कीमतें? जानें एक्सपर्ट्स से

अभी और कितना गिरेंगी सोने की कीमतें? जानें एक्सपर्ट्स से

इस हफ्ते सोने की कीमतें सीमित दायरे में रह सकती हैं, क्योंकि निवेशकों की नजर अब अहम आर्थिक आंकड़ों और नीतिगत घटनाओं पर टिकी हैं। इनमें 5 नवंबर को अमेरिका के उच्चतम न्यायालय में होने वाली टैरिफ से जुड़ी सुनवाई भी शामिल है।

एक्सपर्ट्स के अनुसार, आने वाले दिनों में निवेशक वैश्विक विनिर्माण और सेवा क्षेत्र से जुड़े पीएमआई आंकड़ों, चीन के व्यापार और वृद्धि दर के आंकड़ों के साथ-साथ अमेरिका के रोजगार, उपभोक्ता भावना और मुद्रास्फीति से जुड़े संकेतकों पर भी नजर रखेंगे।

लगातार दूसरे हफ्ते भी गिरावट के साथ बंद हुए सोने के भाव

जेएम फाइनेंशियल सर्विसेज लिमिटेड के उपाध्यक्ष (जिंस और मुद्रा शोध) प्रणव मेर ने कहा, "अमेरिका के उच्चतम न्यायालय में 5 नवंबर को होने वाली टैरिफ से जुड़ी सुनवाई पर भी बाजार की नजर रहेगी। फैसले के आधार पर बाजार में तेज प्रतिक्रिया देखने को मिल सकती है।" उन्होंने कहा कि पिछले हफ्ते सोने की कीमतें लगातार दूसरे सप्ताह गिरावट के साथ बंद हुईं, लेकिन बाजार में जबरदस्त उतार-चढ़ाव देखने को मिला। अमेरिकी फेडरल रिजर्व के कड़े रुख और अमेरिका-चीन व्यापार वार्ता में सकारात्मक रुख ने कीमतों पर दबाव डाला, हालांकि सुरक्षित निवेश की मांग और निवेशकों की दिलचस्पी से कुछ सहारा भी मिला।

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अभी और गिरेंगी सोने की कीमतें

एंजल वन के शोध प्रमुख (नॉन-एग्री कमोडिटीज एंड करेंसी) प्रथमेश माल्या ने कहा कि सोने की कीमतें हाल के उच्च स्तर 1,29,000 रुपये प्रति 10 ग्राम से गिरकर 1,21,000 रुपये के आसपास आ गई हैं। ये गिरावट अमेरिका-भारत टैरिफ तनाव में कमी और डॉलर के मजबूत होने की वजह से आई है। उन्होंने अनुमान जताया कि अगले सप्ताह सोने की कीमतें और गिरकर 1,18,000 रुपये प्रति 10 ग्राम तक जा सकती हैं।

10 महीने की तेजी के बाद अब स्थिरता के दौर में सोना

मल्टी कमोडिटी एक्सचेंज (MCX) पर दिसंबर डिलीवरी वाली चांदी की कीमत शुक्रवार को 817 रुपये बढ़कर 1,48,287 रुपये प्रति किलोग्राम पर बंद हुई। वहीं, अंतरराष्ट्रीय बाजार में कॉमेक्स चांदी 0.87 प्रतिशत गिरकर 48.16 डॉलर प्रति औंस पर रही। स्मार्टवेल्थ एआई के संस्थापक पंकज सिंह ने कहा कि भारत और वैश्विक स्तर पर 10 महीने की तेजी के बाद अब सोना स्थिरता के दौर में है। उन्होंने कहा, "अमेरिकी अर्थव्यवस्था की सुस्ती, बढ़ता कर्ज और राजनीतिक अनिश्चितता के बीच सोना लंबे समय तक सुरक्षित निवेश का साधन बना रहेगा।"









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