श्री सीमेंट की मनमानी,उच्चस्तरीय जांच आदेशों के बावजूद कार्रवाई का अभाव

श्री सीमेंट की मनमानी,उच्चस्तरीय जांच आदेशों के बावजूद कार्रवाई का अभाव

बलौदाबाजार : करही-चंडी लाइमस्टोन माइंस (श्री सीमेंट लि.) से जुड़ी गंभीर अनियमितताओं पर तीन वर्षों से लगातार जांच आदेश जारी होते रहे हैं, परंतु प्रशासनिक कार्रवाई का अभाव इस पूरे प्रकरण को अब अघोषित संरक्षण के दायरे में ला रहा है। पूर्व जिला पंचायत सदस्य बसंत आदिल द्वारा वर्ष 2022 से निरंतर तथ्य और दस्तावेज़ों के साथ प्रस्तुत की गई शिकायतों ने शासन प्रशासन को कई बार जांच के लिए विवश किया, किंतु अब तक न तो जमीनी सत्यापन हुआ और न ही कोई उत्तरदायित्व तय हुआ है।

तीन वर्षों की जांच और शिकायतें फिर भी निष्क्रियता : वर्ष 2022- MoEF (7 जनवरी 2022) को पहली शिकायत, 12 अक्टूबर 2022 को पीएमओ को संदर्भ प्रेषित, MoEF द्वारा 28 जून और 30 दिसंबर 2022 को राज्य शासन को दो स्मरण पत्र भेजे गए, पर रिपोर्ट नहीं आई। क्योंकि शिकायतों की जांच ही नहीं की गई।

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वर्ष 2023: राज्य स्तर पर फाइलें अवलोकनाधीन बताकर जांच स्थगित रही।

वर्ष 2024: 01 अगस्त 2024 को कलेक्टर बलौदाबाजार को आवेदन; 28 अगस्त 2024 को खनिज विभाग द्वारा कलेक्टर को जांच आदेश; परिणाम शून्य ।

वर्ष 2025: 04 सितंबर 2025 को मुख्यमंत्री सचिवालय ने पत्र सचिव (राजस्व) को भेजा; 12 सितंबर 2025 को MoEF ने खनिज विभाग व CECB को संयुक्त जांच का निर्देश दिया; 09 अक्टूबर 2025 को खनिज विभाग ने कलेक्टर को स्मरण पत्र जारी किया - फिर भी प्रतिवेदन लंबित।

शासना-प्रशासन के पत्राचार की विस्तृत टाइमलाइन उसके बावजूद कार्रवाई नहीं : यह मामला वर्ष 2016 से 2025 तक लगातार सक्रिय रहा - LOI (28/03/2016) में करही जलाशय को सम्मिलित कर अनुमति दी गई, किंतु Tor (05/09/2017) व EC (15/05/2020) में जलाशय छिपाया गया। 07/01/2022 को MoEF को प्रथम विस्तृत शिकायत, 12/10/2022 को पीएमओ को संदर्भ, और 28/06/2022 व 30/12/2022 को MoEF के स्मरण पत्र राज्य शासन को भेजे गए। इसके पश्चात 

मामला उजागर नहीं होने से शिकार्यकर्ता और ग्रामीणों में आक्रोश : 01/08/2024 को कलेक्टर बलौदाबाजार को प्रत्यक्ष आवेदन तथा 28/08/2024, 27/09/2024 को खनिज विभाग द्वारा जांच आदेश जारी हुए। 16/05/2025 व 17/07/2025 को संचालक व खनिज विभाग को आपके आवेदन पर कार्रवाई लंबित रही, जिसके बाद 29/07/2025 को अवर सचिव द्वारा स्मरण पत्र तथा 12/09/2025 को MoEF द्वारा Mining Dept एवं CECB को संयुक्त जांच का आदेश जारी किया गया। यह सम्पूर्ण क्रम स्पष्ट करता है कि शासन के प्रत्येक स्तर पर शिकायतें समय समय पर सक्रिय रहीं, परंतु नतीजा आज भी अधूरा है।

मुख्य अनियमितताएँ

1. LOI (2016) में करही जलाशय (20.448 हे.) व आदिवासी भूमि शामिल थी, किंतु TOR/ EC (2017- 2020) में इसे छिपा दिया गया।

2. पर्यावरणीय अध्ययन ((Study Area - 10 किमी रेडियस) से करही बांध को जानबूझकर विलोपित किया गया।

3. MDPA अनुबंध में शामिल खसरा सीमाओं से परे खसरों को खनन आदेश में जोड़ा गया, जिससे LOI की शर्तों का सीधा उल्लंघन हुआ।

4. EIA और EC दस्तावेज़ों में भूमि स्वामित्व को गलत नाम (जितेन्द्र कुमार) से दर्शाया गया।

5. इन सभी भ्रामक जानकारियों के आधार पर कंपनी को पर्यावरणीय स्वीकृति प्राप्त हुई, जो अब धोखाधड़ी की श्रेणी में आती है।

पूर्व शासन की स्थिति और जनविश्वास पर प्रश्न : MoEF का स्पष्ट निर्देश, मुख्यमंत्री सचिवालय का आदेश, और खनिज विभाग का स्मरण पत्र - तीनों होने के बावजूद स्थानीय स्तर पर कोई ठोस जांच आरंभ नहीं हुई। इससे यह संदेह गहराता जा रहा है कि कहीं शासन प्रशासनिक स्तर पर कंपनी को मौन संरक्षण तो प्राप्त नहीं। वास्तविक जांच टालकर मामले को पत्राचार तक सीमित रखना, जनता के पर्यावरणीय अधिकारों की अवहेलना है।

शिकायकर्ता जनसेवक बसंत आदिल और ग्रामीणों की मांग

6. MoEF के निर्देशानुसार खनिज विभाग और CECB की संयुक्त जांच समिति गठित कर 30 दिवस में रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए।

7. DGPS सर्वे व फील्ड निरीक्षण से जलाशय व आदिवासी भूमि की स्थिति स्पष्ट की जाए।

8. जांच रिपोर्ट की प्रति MoEF और शिकायतकर्ता दोनों को भेजी जाए।

9. दोषी कंपनी व अधिकारियों पर EC / CTO निरस्तीकरण और दंडात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की जाए।

निष्कर्ष : करही चंडी माइंस प्रकरण केवल एक औद्योगिक विवाद नहीं बल्कि जनता के जलस्रोत, पर्यावरण संतुलन और आदिवासी समुदायों के अधिकारों की सुरक्षा से जुड़ा प्रश्न है। यदि शासन शीघ्र निर्णायक कार्रवाई नहीं करता, तो यह मामला छत्तीसगढ़ में औद्योगिक साठगांठ और प्रशासनिक निष्क्रियता का प्रत्यक्ष उदाहरण बना दिया गया है। और भूपेश सरकार ने चूने के खदान को चूना लगाया दिया। वर्तमान शासन बार-बार जांच के आदेश कलेक्टर बलौदाबाजार को जारी किए जिसकी आदेश की कापी का फोटो समाचार के साथ स्पष्ट प्रकाशित किया गया।









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