चैंपियन शेफाली वर्मा ने बयां की दिल की बातें,ये जीत 1983 की तरह महिला क्रिकेट के लिए टर्निंग प्वाइंट

चैंपियन शेफाली वर्मा ने बयां की दिल की बातें,ये जीत 1983 की तरह महिला क्रिकेट के लिए टर्निंग प्वाइंट

महिला वनडे विश्व कप के फाइनल में 87 रन और दो विकेट लेकर प्लेयर ऑफ द मैच बनीं शेफाली वर्मा ने कहा कि भगवान ने उनके भाग्य में विश्व कप खेलना लिखा था। उन्होंने कहा, भगवान आपको कुछ ही मौके देते हैं, जिसे आपको लपकना होता है और मैंने भी यही किया। फाइनल में मैंने खुद पर भरोसा रखा, जिससे मैं टीम की जीत में योगदान दे पाई।उन्होंने इस जीत को महिला क्रिकेट के लिए टर्निंग प्वाइंट बताया। हरियाणा से घरेलू क्रिकेट खेलने वाली अंडर-19 विश्व कप विजेता भारतीय टीम की कप्तान रहीं शेफाली वर्मा से अभिषेक त्रिपाठी ने विशेष बातचीत की। पेश हैं प्रमुख अंश:-

पहले आप टीम में नहीं थीं। प्रतिका के चोटिल होने पर आपको मौका मिला। फाइनल में आप प्लेयर ऑफ द मैच बन गईं। विश्व कप के इस सफर को कैसे देखती हैं?

- मैं बस इतना कहूंगी कि भगवान ने मेरे लिए यह लिखा था। जब पता चला कि मुझे जाना है तो मुझे खुद पर भरोसा था। मैं लगातार घरेलू क्रिकेट खेल रही थी और अच्छी लय में थी। जब मुझे टीम की ओर से काल आया तो मैंने खुद पर भरोसा रखा। मैं विश्व कप पहले खेल चुकी हूं और सेमीफाइनल भी खेल चुकी हूं। भगवान ने मुझे मौका दिया और फाइनल में मैंने करके दिखाया। मुझे खुशी है कि टीम की जीत में मैं अपना योगदान दे पाई।

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फाइनल में बल्ले के साथ आपने गेंद से भी कमाल दिखाया। क्या गेंदबाजी करने में ज्यादा मजा आया?

- बिल्कुल, मुझे गेंदबाजी में बहुत मजा आया क्योंकि एक बल्लेबाज होते हुए आप गेंदबाजी करते हुए विकेट लेते हो तो बहुत अच्छा लगता है। मैं लगातार घरेलू क्रिकेट में गेंदबाजी भी कर रही थी और मुझे भरोसा था अपनी गेंदबाजी पर भी। मुझे जब गेंदबाजी दी गई तो मुझे भरोसा था कि मैं अच्छी लेंथ पर डालूंगी। मैदान में मैंने अपने खेल का पूरा आनंद लिया। मुझे पता था कि भगवान मेरे साथ है। बस दिमाग यही था कि जितना टीम के लिए अच्छा कर सकूं, उतना करूं।

विश्व कप फाइनल में प्लेयर ऑफ द मैच चुनना बड़ी बात है। ये करियर के लिए कितना अहम होता है?

- यह बहुत अहम है मेरे लिए क्योंकि भगवान आपको एक या दो मौके ही देते हैं, जिसे आपको लपकना होता है। सेमीफाइनल में मैंने पूरी कोशिश की थी, लेकिन रन नहीं बने। सेमीफाइनल में टीम जीती और मैंने चीजों को स्वीकारा। मुझे पता था कि मेरे पास एक और मौका है और मुझे प्रदर्शन करना होगा। मैं शांत थी, मैं खुद को मोटिवेट कर रही थी। मैंने अभ्यास पर पूरा ध्यान दिया। ज्यादा समय नेट्स में बिताया तो उससे मेरा आत्मविश्वास बढ़ा।

सेमीफाइनल में टीम जीती, लेकिन आपका प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा। फाइनल में टीम जीती और आप प्लेयर ऑफ द मैच थीं। ये दोनों रातें कैसे बीतीं, क्या अंतर था?

- जब आप टीम के लिए इतने महत्वपूर्ण मैच में रन बनाना चाहते हो तो दिमाग में काफी कुछ चलता है। सेमीफाइनल के बाद मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था रन नहीं बने तो क्या होगा, टीम जीतेगी या हारेगी। वो दो दिन बहुत मुश्किल से गुजरे। फिर फाइनल का दिन आया, तो मैंने सोच लिया था कि अभी नहीं तो कभी नहीं। बस मैंने खुद में विश्वास बनाए रखा और फाइनल में रन बनाए।

भारत इससे पहले दो बार फाइनल में पहुंचा था, लेकिन ट्रॉफी नहीं मिली। महिला टीम के लिए इस जीत के क्या मायने हैं?

- हम विश्व कप जीते हैं। ये महिला क्रिकेट की जीत है। मुझे विश्वास है, यहां से महिला क्रिकेट पूरी तरह बदल जाएगा। मुझे लगता है कि 1983 में पुरुष टीम का विश्व कप जीतना पूरे देश में क्रिकेट के लिए टर्निंग प्वाइंट था और हमारी जीत पूरे महिला क्रिकेट के लिए टर्निंग प्वाइंट है। ये पूरे देश की महिलाओं की जीत है।

देश में महिला क्रिकेट के बारे में क्या कहना चाहेंगी?

- मैं हरियाणा से आती हूं और हरियाणा क्रिकेट संघ महिला क्रिकेट को काफी सपोर्ट कर रहा है। अनिरुद्ध सर, बहुत सपोर्ट करते हैं। अभी बहुत बदलाव आया है हरियाणा महिला क्रिकेट में। अब बहुत शिविर लगते हैं, जिससे लड़कियों को काफी मदद मिलती है। खिलाड़ी भी काफी अच्छे निकल कर आ रही हैं। अभी युवा खिलाड़ियों में बहुत आत्मविश्वास दिखता है।

डब्ल्यूपीएल और मेंस के समान मैच फीस का कदम महिला क्रिकेट के लिए कितना अहम रहा?

- बिल्कुल, जब आपको मेंस के समान मैच फीस मिलती है, सारी सुविधाएं मिल रही हैं तो महिला क्रिकेटर भी आर्थिक रूप से मजबूत हो रही हैं। उन्हें पूरी फ्रीडम है। फिटनेस पर काम करने के लिए सोचना नहीं पड़ता। हम अच्छे ट्रेनर और ज्यादा नेट बालर, थ्रोडाउन विशेषज्ञों के साथ काम कर सकते हैं। इस कदम ने प्रत्येक खिलाड़ी को काफी आत्मविश्वास दिया। जब बीसीसीआई से आपको इतना सपोर्ट मिलता है तो खिलाड़ियों की भी जिम्मेदारी होती है कि देश के लिए जी जान लगा दें।









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