कितने प्रकार के होते हैं गण ? जानें कुंडली मिलान में क्यों किया जाता है इस पर विचार?

कितने प्रकार के होते हैं गण ? जानें कुंडली मिलान में क्यों किया जाता है इस पर विचार?

सनातन धर्म में विवाह को पवित्र कर्मकांड माना गया है। विवाह से पहले लड़के और लड़की का कुंडली मिलान किया जाता है। कुंडली मिलान से यह जानकारी मिल जाती है कि विवाह के बाद वर और वधू का वैवाहिक जीवन कैसे गुजरने वाला है?कुंडली मिलान से कई प्रकार के दोष की जानकारी मिलती है। इनमें नाड़ी और भकूट दोष प्रमुख हैं। इसके साथ ही कुंडली मिलान में गण का भी विचार किया जाता है।ज्योतिषियों की मानें तो कई बार वर और वधू के गण न मिलने से वर और वधू को वैवाहिक जीवन में परेशानी का सामना करना पड़ता है। आइए, गण के बारे में सबकुछ जानते हैं-

गण के प्रकार

ज्योतिष शास्त्र के जानकारों की मानें तो देव, मानव और राक्षस तीन प्रकार के गण  हैं। वर और वधू के राक्षस और देव या देव और राक्षस गण होने पर जातक के विचार में मतभेद देखने को मिल सकता है। इसी प्रकार, वर और वधू के राक्षस और मानव या मानव और राक्षस गण होने पर भी दोनों के विचार, रहन-सहन आदि भिन्न हो सकते हैं। वहीं, वर और वधू के एक ही गण राक्षस-राक्षस, देव-देव और मानव-मानव होने पर विचारों में समानता देखने को मिलती है।

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क्यों किया जाता है विचार?

ज्योतिषियों की मानें तो कुंडली मिलान में गण न मिलने पर वर और वधू को कई प्रकार की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके लिए गण न मिलने या राक्षस गण मिलने पर बारीकी से विचार करने की सलाह दी जाती है। अतः योग्य या प्रकांड पंडित से कुंडली मिलान कराना उत्तम होता है।

कैसे जानें अपना गण?

  1. पुर्नवासु, पुष्‍य, हस्‍त, स्‍वाति, अनुराधा, श्रावण, रेवती, अश्विनी और मृगशिरा नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक देव गण के होते हैं।
  2. पूर्वा फाल्गुनी, उत्तर फाल्गुनी, पूर्व षाढ़ा, उत्तर षाढा, पूर्व भाद्रपद, उत्तर भाद्रपद, भरणी, रोहिणी और आर्दा आदि नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक मनुष्य गण के माने जाते हैं।
  3. अश्लेषा, विशाखा, कृत्तिका, चित्रा, मघा, ज्येष्ठा, मूल, धनिष्ठा, शतभिषा आदि नक्षत्र में जन्म लेने वाले जातक राक्षस गण के होते हैं।









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