क्यों हुआ देवी एकादशी का अवतरण? जानें पौराणिक कथा

क्यों हुआ देवी एकादशी का अवतरण? जानें पौराणिक कथा

उत्पन्ना एकादशी का व्रत हिंदू धर्म में विशेष महत्व रखता है, क्योंकि यह केवल भगवान विष्णु की पूजा का दिन नहीं, बल्कि देवी एकादशी के अवतरण का पर्व भी है। मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष की यह एकादशी इसलिए खास है, क्योंकि इसी तिथि से हिंदू धर्म में सभी एकादशी व्रतों की शुरुआत मानी जाती है। हिंदू पंचांग के अनुसार, इस साल उत्पन्ना एकादशी 15 नवंबर को मनाई जाएगी, तो आइए देवी एकादशी के जन्म का रस्य जानते हैं।

क्यों हुआ देवी एकादशी का अवतरण?

पौराणिक कथाओं के अनुसार, देवी एकादशी का जन्म सृष्टि के पालनहार भगवान विष्णु के शरीर से हुआ था। उनके जन्म के पीछे का कारण एक महाबलशाली राक्षस 'मुर' था। सतयुग में मुर नामक एक अत्यंत क्रूर राक्षस था, जिसने अपनी शक्ति से देवताओं को पराजित कर स्वर्ग पर अपना अधिकार कर लिया था। उससे परेशान होकर सभी देवता, भगवान शिव के पास गए और तब शिव जी ने सभी को भगवान विष्णु के पास जाने को कहा।

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देवताओं की विनती सुनकर भगवान विष्णु ने मुर राक्षस से कई सालों तक भीषण युद्ध किया। युद्ध करते-करते जब भगवान थक गए, तो वे विश्राम करने के लिए हिमालय की एक गुफा में चले गए और योगनिद्रा में लीन हो गए।

अवतरण का रहस्य

राक्षस मुर ने भगवान विष्णु को सोते हुए देखकर उन पर आक्रमण करने का प्रयास किया। तभी भगवान विष्णु के शरीर के तेज से एक दिव्य और तेजस्वी कन्या उत्पन्न  हुई। इस कन्या ने अपनी अपार शक्ति से राक्षस मुर को ललकारा और उससे युद्ध किया। अपनी शक्ति से उस कन्या ने मुर का सिर धड़ से अलग कर दिया, जिससे भगवान विष्णु की योग निद्रा भंग नहीं हुई।

इस तिथि से है खास कनेक्शन

जब भगवान विष्णु की निद्रा टूटी, तो उन्होंने मुर को मृत पाया और उस कन्या के पराक्रम से बहुत खुश हुए। भगवान विष्णु ने उस कन्या को वरदान दिया और कहा कि तुम मेरे शरीर से मार्गशीर्ष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन उत्पन्न हुई हो, इसलिए तुम्हारा नाम 'एकादशी' होगा। इसके साथ ही भगवान विष्णु ने कहा कि आज से जो भी मनुष्य इस तिथि पर व्रत करेगा और मेरी पूजा के साथ तुम्हारी पूजा करेगा, उसके सभी पाप नष्ट हो जाएंगे और उसे मोक्ष की प्राप्ति होगी।

इसलिए कहते हैं उत्पन्ना एकादशी

यही कारण है कि मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी कहा जाता है, क्योंकि इसी दिन व्रत के रूप में देवी एकादशी का जन्म हुआ था। यह सभी 24 एकादशियों में सबसे पहली और महत्वपूर्ण मानी जाती है।









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