बिलासपुर : सोमवार को जिला पंचायत सामान्य सभा की बैठक हुई । बैठक में जिला सहकारी बैंक और समितियां में होने वाली नियुक्तियों को लेकर जनप्रतिनिधियों ने जमकर सवाल किया। जनप्रतिनिधियों ने बैंक प्रबंधन पर मनमानी, भाई–भतीजावाद और खुली भ्रष्टाचार की ऐसी गंभीर आरोपों की बारिश की, जिसने अधिकारियों को सीधे कटघरे में खड़ा कर दिया।
मस्तूरी क्षेत्र के जिला पंचायत सदस्य दामोदर कांत ने हमला बोलते हुए कहा कि जिला सहकारी बैंक और समितियों में धड़ल्ले से बिना योग्यता, बिना प्रक्रिया और बिना किसी पारदर्शिता” के मनचाही नियुक्तियाँ की जा रही हैं। कांत ने साफ कहा कि धान खरीदी समितियों में कंप्यूटर ऑपरेटरों की नियुक्ति भारी धांधली का उदाहरण है—समितियों में अपने–अपने रिश्तेदारों को नौकरी दी गई। कई जगह साफ-साफ पैसा लेकर भर्ती की गई, और नियुक्ति पत्र जिला सहकारी बैंक से जारी हुए। यह कैसे संभव है कि विभाग जिम्मेदार नहीं और पत्र बैंक से निकल रहे हैं?”
कांत ने चेताया कि धान खरीदी जैसे अति–संवेदनशील काम में ऐसे लोगों को बैठा दिया गया है जिन्हें कंप्यूटर तक चलाना नहीं आता। इसका सीधा नुकसान किसानों को उठाना पड़ सकता है।दामोदर कांत के आरोपों के तुरंत बाद ही जिला सहकारी बैंक प्रबंधन ने सफाई देते हुए कहा—नियुक्तियाँ हम नहीं करते, यह हमारे अधिकार क्षेत्र का विषय ही नहीं है।
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लेकिन उनकी यह सफाई सदन में बिल्कुल नहीं चली। मस्तूरी सदस्य की आपत्ति के बाद राजेंद्र धीवर भी तीखे तेवरों के साथ खड़े हो गए। धीवर ने बैंक प्रबंधन की बात को चुनौती देते हुए कहा—यदि नियुक्तियाँ आपके अधिकार में नहीं, तो फिर नियुक्ति पत्र आपके बैंक से कैसे जारी होते हैं? ऑपरेटर कहाँ से आ रहे हैं? और समितियों में रिश्तेदार क्यों बैठे हुए हैं?”
राजेंद्र धीवर ने आगे खुलासा किया कि कई समितियों में नियुक्तियों का खेल खुलकर खेला गया है। उन्होंने आरोप लगाया कि समिति प्रबंधक ने धान खरीदी सीजन के दौरान अपनी पत्नी, रिश्तेदार और परिचितों को ही कंप्यूटर ऑपरेटर बनाकर बैठा दिया, जिससे पूरा तंत्र ही अवैध तरीके से प्रभावित हो रहा है।
जैसे ही धीवर ने ये आरोप रखे, सदन का तापमान और बढ़ गया। कई सदस्य एक साथ बोल पड़े कि कलेक्टर के नाम का सहारा लेकर मनमाने तरीके से भर्तियाँ की गई हैं।जबकि नियम पूरी तरह इसके खिलाफ हैं। अधिकारियों की सफाई बार–बार आती रही, लेकिन कोई भी जवाब सदन को संतुष्ट नहीं कर पाया।
लंबी बहस, तीखी नोकझोंक और कई बार उठे सवालों के बाद अंततः जिला सहकारी बैंक प्रबंधन दबाव में आता दिखा और कहा— कि हम भर्तियाँ नहीं करते हैं। बावजूद इसके संबंधित विभाग के संज्ञान में लाया जाएगा और जांच भी होगी।



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