परमेश्वर राजपूत, गरियाबंद / छुरा : कभी विरान मोहल्ले के नाम से पहचाने जाने वाले गादिकोट पर एक बार फिर उजड़ने का साया मंडराने लगा है। गरियाबंद सिविल कोर्ट द्वारा जारी आदेश के बाद यहां बसे गरीब परिवारों के आशियाने टूटने की नौबत आ गई है। गरीबी और मजबूरी के बीच जीवन गुजार रहे इन परिवारों के घरों पर बुलडोज़र चलने की तैयारी प्रशासनिक स्तर पर शुरू हो चुकी है।बताया जा रहा है कि गरियाबंद निवासी वाहिद मेमन ने इस जमीन पर अपना स्वामित्व होने का दावा करते हुए कोर्ट में हलफनामा प्रस्तुत किया, जिसके आधार पर कोर्ट ने सात परिवारों को बेदखल कर उनके मकान हटाने का आदेश जारी कर दिया है। काबिज लोगों की मानें तो ये परिवार पिछले लगभग 50 वर्षों से इस भूमि पर काबिज हैं।
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जिन सात लोगों के मकान तोड़ने का आदेश दिया गया है, उनके नाम इस प्रकार हैं — संजय ध्रुव, रंजीत, सेवन पांडे, शिव सेन, चंदेश्वर सेन, चैन सिंह एवं रामेश्वरी ध्रुव। वहीं बताया जा रहा है कि इनमें से दो परिवार ऐसे हैं जिनके पास रमन पट्टा है और शासन द्वारा स्वीकृत आवास भी बन चुका है, फिर भी उनके घर तोड़े जाने की कार्रवाई सूची में शामिल है। वहीं आज सुबह जेसीबी मशीन के साथ छुरा अनुविभागीय अधिकारी, तहसीलदार, थानेदार, सहित बड़ी संख्या पुलिस बल तैनात रहा। जिसके बाद वहां के जनप्रतिनिधियों की मध्यस्थता के बाद एक महीने का समय उन लोगों को दिया गया और मकान टूटने की कार्यवाही रुक पाया। वहीं अब आने वाले एक महीने के अंदर क्या लोग उस जमीन को खरीद पाएंगे या फिर कहीं और आशियाना की तलाश कर जमीन को खाली करेंगे ये आने वाले दिनों में ही पता चल पाएगा। लेकिन इस भरी ठंड में इन लोगों को घर खाली कर कहीं और ठीकाना ढूंढना एक चुनौती से कम नहीं दिखाई देती है।



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