भाजपा ने बाबरी मस्जिद को लेकर जवाहरलाल नेहरू की मंशा का दिया सबूत

भाजपा ने बाबरी मस्जिद को लेकर जवाहरलाल नेहरू की मंशा का दिया सबूत

बाबरी मस्जिद एक बार फिर चर्चा में है. वजह है रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का वो दावा जिसमें ये कहा गया कि 'पंडित जवाहरलाल नेहरू सरकारी खजाने से पैसा खर्च करके बाबरी मस्जिद बनवाना चाहते थे. सरदार वल्लभभाई पटेल ने इस प्रस्ताव का विरोध किया था. और उस समय उन्होंने सरकारी पैसे से बाबरी मस्जिद नहीं बनने दिया..' जैसे ही राजनाथ सिंह ने बयान दिया तो कांग्रेस तिलमिला गई. प्रियंका गांधी, पवन खेड़ा समेत कई बड़े नेताओं ने राजनाथ सिंह के इस दावे को मनगढ़ंत कहानी बताया. जिसके बाद बीजेपी ने राजनाथ सिंह के इस दावे का प्रूफ दिया है.

बीजेपी प्रवक्ता अमित मालवीय ने एक्स पर एक पोस्ट किया है. इस पोस्ट में प्रभा चोपड़ा द्वारा लिखी गई एक किताब का पेज भी शेयर किया है. ये बुक साल 2011 में कांग्रेस के शासनकाल में प्रकाशित हुई थी, जिसकी एक प्रति नेहरू मेमोरियल लाइब्रेरी में भी मौजूद है. बीजेपी इसी बुक के पेज नंबर 24 का हवाला दे रही है. यह बुक Inside Story of Sardar Patel- The Diary of Maniben Patel (1936-50) है, जिसमें सरदार पटेल की बेटी मणिबेन पटेल की डायरी के नोट्स भी शामिल हैं.

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'नेहरू तुष्टिकरण की पॉलिटिक्स में बिजी थे'

बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि 'इस बुक के पेज-24 पर यह बात साफ लिखी है कि बाबरी मस्जिद के निर्माण के लिए नेहरू सरकारी फंड का उपयोग करना चाहते थे. यही प्राइमरी सोर्स है.' उन्होंने आगे कहा कि 'जब सरदार पटेल ने बंटवारे के बाद व्यवस्था और एकता बहाल करने के लिए बहुत मेहनत की, तब नेहरू तुष्टिकरण की पॉलिटिक्स को प्राथमिकता देने में बिज़ी थे, भले ही इसका मतलब विवादित ढांचे बाबरी मस्जिद को फिर से बनाने के लिए पब्लिक मनी का इस्तेमाल करना ही क्यों न हो.

आखिर पेज नंबर 24 पर क्या लिखा है?

बीजेपी ने जिस पेज नंबर 24 को शेयर कया है, उसके एक पैराग्राफ में लिखा है कि 'जब नेहरू ने बाबरी मस्जिद के निर्माण में सरकारी पैसा खर्च करने की मंशा जाहिर की थी तो सरदार पटेल ने साफ कर दिया कि सरकार मस्जिद बनाने के लिए कोई पैसा खर्च नहीं कर सकती. उन्होंने नेहरू से कहा कि सोमनाथ मंदिर को फिर से बनाने का सवाल बिल्कुल अलग है, क्योंकि इसके लिए एक ट्रस्ट बनाया गया था और लगभग 30 लाख रुपये जमा हो गए थे. पटेल ने नेहरू से कहा कि यह एक ट्रस्ट है, जिसके चेयरमैन जाम साहेब और मेंबर मुंशी हैं और इस काम के लिए कोई सरकारी पैसा इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इससे नेहरू चुप हो गए. (20 सितंबर, 1950).'

राजनाथ सिंह ने क्या कहा था?

राजनाथ सिंह ने बीते मंगलवार को गुजरात के वडोदरा जिले के साधली गांव में एक सभा को संबोधित किया था. जहां उन्होंने दावा किया कि 'सरदार वल्लभभाई पटेल सच्चे अर्थों में धर्मनिरपेक्ष थे. जब पंडित जवाहरलाल नेहरू ने बाबरी मस्जिद मुद्दे पर सरकारी धन खर्च करने की बात कही, तो सरदार वल्लभभाई पटेल ने इसका विरोध किया. उस समय उन्होंने बाबरी मस्जिद को सरकारी धन से नहीं बनने दिया. नेहरू जी ने सोमनाथ मंदिर के पुनर्निर्माण का प्रश्न उठाया तो सरदार ने स्पष्ट किया कि सोमनाथ मंदिर का मामला अलग था. वहाँ जनता ने 30 लाख रुपये दान दिए थे, एक ट्रस्ट बनाया गया था, और सरकारी धन का एक पैसा भी इस्तेमाल नहीं किया गया था. अयोध्या में राम मंदिर सरकारी धन से नहीं बना है. इसका पूरा खर्च देश की जनता ने उठाया है.'

कांग्रेस ने इस मुद्दे पर क्या कहा था?

इस पूरे मुद्दे पर कांग्रेस ने बीजेपी की मंशा पर सवाल खड़े किए थे. कांग्रेस की तरफ से इसे मनगढ़ंत कहानी बताया गया है. कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने कहा कि यह दावा उन वास्तविक मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए किया जा रहा है, जिन पर चर्चा की जरूरत है. वहीं कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा कि राजनाथ सिंह जैसे वरिष्ठ नेता को बिना पक्के सबूत ऐसे बयान नहीं देने चाहिए. जबकि माणिकम टैगोर ने इसे 'व्हाट्सऐप यूनिवर्सिटी वाली कहानी' बताया.







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