पीएम मोदी -पुतिन की दोस्ती,जहर उगल रहा US मीडिया

पीएम मोदी -पुतिन की दोस्ती,जहर उगल रहा US मीडिया

रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने दो दिवसीय दौरे पर भारत आए हैं, लेकिन उसकी आग अमेरिकी मीडिया में दिखाई दे रही है। अमेरिकी मीडिया को भारत-रूस की दोस्ती वैसे ही खटक रही है, जैसा डोनाल्ड ट्रंप भी बार-बार अपने शब्दों और अपने एक्शन से जाहिर करते रहे हैं।

आपको बता दें कि अमेरिकी मीडिया लगातार अपने विभिन्न आर्टिकल के जरिए भारत-रूस के संबंधों की तुलना भारत-अमेरिका संबंधों से कर रहा है। वो ये भूल रहा है कि विभिन्न देशों के साथ किसी भी देश के संबंध एक जैसे नहीं रहते।

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दूसरी तरफ, भारत की तरफ से लगातार कहा गया है कि सरकार हमेशा अपने लोगों के हितों को सर्वोपरि रखेगी। अगर भारत रूस से कच्चा तेल खरीदता है, तो इसमें देश की आम जनता का फायदा है। अगर रूस आज तेल की कीमत बढ़ा देता है, तो भारत को रूस से तेल खरीद रोकने में कोई दिक्कत नहीं होगी, क्योंकि सरकार किसी भी कीमत पर आमजन के हितों के साथ सौदा नहीं करेगी।

अमेरिकी मीडिया में क्या चल रहा है?

  1. CNN की रिपोर्ट में कहा गया है कि यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद पुतिन का यह पहला भारत दौरा है, जो PM मोदी के लिए टेंशन वाले समय में हो रहा है। CNN ने लिखा, "भारत US के साथ एक बहुत जरूरी ट्रेड डील पर बातचीत कर रहा है, क्योंकि उस पर 50% टैरिफ लगा था, जिसका आधा हिस्सा नई दिल्ली के लगातार डिस्काउंट पर रूसी तेल खरीदने की सीधी सजा थी। फिर भी, पुतिन के दौरे के एजेंडे में मॉस्को के साथ और भी डिफेंस डील शामिल हैं, जिसमें हथियारों की खरीद भी शामिल है, जिन्हें भारत पाकिस्तान और चीन से खुद को बचाने के लिए जरूरी मानता है।" रिपोर्ट में कहा गया है कि अब समय आ गया है कि नई दिल्ली रूस के साथ रहने को तैयार हो, भले ही मॉस्को की दुनिया भर में बदनामी हो रही हो। तेल और हथियारों के अलावा, यह डिप्लोमैटिक हेजिंग है जो बीजिंग और वाशिंगटन को दिखाती है कि दिल्ली के पास एक तीसरा ऑप्शन भी है और इससे उसे मोलभाव करने की और गुंजाइश मिलती है।"
  2. न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा, "यह समय भारत के लिए खास तौर पर मुश्किल है, जो ट्रंप एडमिनिस्ट्रेशन के साथ अपनी आर्थिक उलझन को सुलझाने का रास्ता ढूंढ रहा है। ट्रंप ने भारत पर आरोप लगाया है कि वह रूस से तेल खरीदकर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को फाइनेंस कर रहा है, और पिछले महीने, भारत की सबसे बड़ी तेल कंपनियों ने रूसी तेल कंपनियों पर अमेरिकी बैन के बाद रूस से कच्चा तेल खरीदना लगभग पूरी तरह से बंद कर दिया, जिससे उनके साथ बिजनेस करने वाली कंपनियों को खतरा पैदा हो गया। 23वीं भारत-रूस समिट दुनिया को यह संकेत देती है कि दोनों देश सोवियत काल से चले आ रहे रिश्ते के लिए कमिटेड हैं। पुतिन के लिए, यह दुनिया को यह दिखाने का मौका है कि रूस के पास ग्लोबल महत्व का एक पार्टनर है। लेकिन मोदी को रूस, जो उसका सबसे बड़ा हथियार सप्लायर है, के साथ भारत के रिश्ते को मैनेज करने और अपने सबसे बड़े ट्रेडिंग पार्टनर, अमेरिकी की मांगों को पूरा करने के बीच संतुलन बनाना होगा - और यह सब अपने देश के स्वार्थ को भी पूरा करते हुए।"
  3. US की मशहूर मैगजीन फॉरेन पॉलिसी ने एक रिपोर्ट में रूस-भारत रिश्तों पर वॉशिंगटन के नजरिए के बारे में लिखा। इसमें लिखा गया कि पुतिन और PM मोदी के बीच एनर्जी, एविएशन, जरूरी मिनरल्स और डिफेंस जैसे कई मुद्दों पर होने वाली डील्स पर चर्चा होने की उम्मीद है। फॉरेन पॉलिसी ने लिखा, "ये लोग गले मिलेंगे, नमस्ते करेंगे, और सहयोग के नए वादे करेंगे, और उन्हें ठीक ऐसा ही होना चाहिए। जैसे-जैसे भारत अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की टैरिफ पॉलिसीज के गुस्से का सामना कर रहा है, पाकिस्तान के साथ दशकों में अपने सबसे बुरे झगड़े से जूझ रहा है, और बड़ी क्षेत्रीय चुनौतियों का सामना कर रहा है, यह साफ है कि उसे अपने करीबी रूसी दोस्त की पहले से कहीं ज्यादा जरूरत है।"







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