रायगढ़ : रायगढ़ जिले में 14 रेत खदानों की नीलामी पूरी हो चुकी है। अब सभी को माइनिंग प्लान के साथ पर्यावरणीय स्वीकृति के लिए आवेदन करना है। बरसात के सीजन में रेत का कारोबार बंद न हो इसके लिए सरकार ने भंडारण अनुमति देने का निर्णय लिया है। खदान से दस किमी के रेडियस में कोई आवंटी भंडारण करता है तो उसका शुल्क माफ होगा। नदी से रेत खनन और परिवहन का एक समय तय होता है। जुलाई से अक्टूबर के बीच खनन पर प्रतिबंध लग जाता है। इस अवधि में रेत की कीमतें बढ़ जाती हैं। इसे देखते हुए सरकार ने नियमों का सरलीकरण किया है। कोई भी रेत खदान संचालक चाहे तो भंडारण अनुज्ञा ले सकता है।
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खदान में दस किमी के अंदर अनुमति लेने पर भंडारण अनुज्ञा शुल्क से छूट मिलेगी। शर्त यही है कि जो खदान संचालक है, वही आवेदन करेगा। बरसात के सीजन में वह भंडारण स्थल पर खदान से उत्पादन की अनुमति मात्रा के हिसाब से रेत जमा कर सकेगा। अक्टूबर तक यही रेत बेची जा सकेगी। इसके बाद खदान से उत्पादन शुरू हो जाएगा। खनिज विभाग ने पांच साल के लिए रेत घाट आवंटित किए हैं। अब ईसी लेने के लिए आवेदन किया जाना है। सिआ की कमेटी जब बैठक लेगी तो आवेदन पटल पर रखे जाएंगे। कमेटी ही ईसी मंजूर करेगी। रेत नीति के नए प्रावधानों में खदान आवंटी को अनुमति मात्रा की पूरी रॉयल्टी राशि जमा करनी होगी। भले ही उत्पादन और विक्रय कम हो। अनुमान लगाया जा रहा है कि रेत की कीमतें नियंत्रण में रहेंगी। जबकि बेस प्राइस बढ़ाई गई है।
एकमात्र खदान भी बंद
वर्तमान में रायगढ़ जिले में एक भी रेत घाट चालू नहीं हैं। जो भी रेत ट्रैक्टरों और डंपरों में ले जाई जा रही है, वह अवैध है। एकमात्र रेत घाट उसरौट राजनीति का शिकार हो गई। पेनाल्टी चुकाने के बाद भी उसको संचालन की अनुमति नहीं दी गई। सितंबर में पर्यावरणीय मंजूरी अवधि भी समाप्त हो चुकी है। खनन अवधि भी एक-दो महीने में खत्म हो जाएगी।

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