इस बार किसानों के लिए सबसे बड़ी सलाह यही है कि गेहूं की पहली सिंचाई के साथ सही स्प्रे करना बिल्कुल न भूलें। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जो किसान शुरुआती दौर में पोषक तत्व दे देते हैं, उनकी फसल बाकी किसानों से कहीं ज्यादा तेजी से बढ़ती है। यही वजह है कि सही समय पर किया गया स्प्रे गेहूं की पैदावार को 35–40 क्विंटल से बढ़ाकर 45 क्विंटल प्रति एकड़ तक पहुंचा सकता है।
पहली सिंचाई पर सही समय
आम तौर पर गेहूं की पहली सिंचाई बुवाई के 20–25 दिन बाद की जाती है। इसी समय पौधा ‘टिलरिंग स्टेज’ में होता है, यानी सबसे ज्यादा नई शाखाएं निकलती हैं। अगर इस स्टेज पर पौधे को पर्याप्त पोषक तत्व नहीं मिले, तो बाद में फसल उतनी घनी नहीं बन पाती। इसलिए पहली सिंचाई को “फसल की नींव” माना जाता है।
कौन सा स्प्रे करें – कृषि वैज्ञानिकों की बड़ी सिफारिश
कृषि वैज्ञानिक पहली सिंचाई के साथ दो जरूरी चीजों का स्प्रे करने की सलाह देते हैं ताकि पौधा मजबूत बने और तेज़ी से बढ़े।
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नाइट्रोजन और जिंक का मिश्रण (N + Zn) स्प्रे
यह पौधों को शुरुआती ऊर्जा देता है। यह स्प्रे फसल में हरियाली बढ़ाता है और जड़ें मजबूत बनाता है, जिससे फसल भविष्य में ज्यादा झटके सह पाती है।
फेरस सल्फेट (Iron) और मैंगनीज स्प्रे
कई खेतों की मिट्टी में आयरन और मैग्नीशियम की कमी होती है। यह मिश्रण पौधे में पीला पड़ने की समस्या रोकता है और पत्तियों को हरा-भरा बनाए रखता है।
किस दर से स्प्रे करें?
प्रति 15 लीटर पानी में 100 ग्राम जिंक सल्फेट + 50 ग्राम फेरस सल्फेट + 20 ग्राम मैंगनीज मिलाना सबसे सही माना जाता है।
स्प्रे का फायदा दिखेगा सिर्फ 4 दिन में
किसान जिन्होंने पहली सिंचाई के साथ यह मिश्रण डाला है, उनका कहना है कि फसल की हरियाली और मोटाई दोनों बढ़ जाती है। पौधा ज्यादा टिलर बनाता है, बालियां मोटी व दाने भारी होते हैं। यही कारण है कि कई जगहों पर इस तकनीक से प्रति एकड़ उपज 45 क्विंटल तक पहुंच चुकी है। यानी बिना ज्यादा खर्च किए कम समय में ज्यादा गेहूं मिल सकता है।
खरपतवार नियंत्रण भी पहली सिंचाई में बेहद जरूरी
पहली सिंचाई के साथ-साथ निराई-गुड़ाई या खरपतवार नियंत्रण भी बेहद जरूरी है। अगर इस समय खेत में खरपतवार तेज़ी से फैल गए, तो पौधे को जरूरी पोषक तत्व नहीं मिल पाएंगे। इसलिए सिंचाई के 3–4 दिन बाद हल्का हर्बीसाइड (खरपतवार नाशक) स्प्रे करने की सलाह दी जाती है।
किसान इस स्प्रे को क्यों मान रहे हैं गेम-चेंजर
किसानों का कहना है कि पहले सिर्फ DAP और यूरिया पर निर्भर रहते थे, जिससे फसल शुरू में कमजोर रह जाती थी।लेकिन अब माइक्रोन्यूट्रिएंट्स (जिंक, आयरन, मैंगनीज) जोड़ने से पत्तियां और जड़ दोनों मजबूत बनती हैं, और गेहूं की पैदावार में बड़ा अंतर दिखाई देता है।

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