बलरामपुर : प्रतापपुर विधानसभा से भाजपा विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते के कथित फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला राज्य की राजनीति में तेजी से तूल पकड़ चुका है। यह विवाद अब सिर्फ राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं रहा, बल्कि सामाजिक संगठनों से लेकर प्रशासनिक तंत्र तक हलचल मचा रहा है।
27 नवंबर को कलेक्ट्रेट कार्यालय के बाहर सर्व आदिवासी समाज के हजारों सदस्यों ने जोरदार विरोध प्रदर्शन किया, रैली निकाली और धरना दिया। समाज की ओर से हाई कोर्ट में दायर याचिका में आरोप लगाया गया है कि विधायक शकुंतला सिंह पोर्ते का जाति प्रमाण पत्र उनके पति के आधार पर तैयार किया गया, जबकि नियमों के मुताबिक जाति निर्धारण में पिता का नाम दर्ज होना अनिवार्य है।
मामले की गंभीरता को देखते हुए हाई कोर्ट ने कलेक्टर को तत्काल छानबीन समिति गठित कर विस्तृत जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए। इसी क्रम में जिला स्तरीय जाति प्रमाण पत्र सत्यापन समिति ने विधायक को नोटिस जारी कर मूल दस्तावेजों की पेशी के लिए कहा है।
ये भी पढ़े : मुखिया के मुखारी -पक्ष -विपक्ष मस्त,छत्तीसगढ़िया पस्त है
उधर, सुनवाई की तारीख नजदीक आते ही जिला प्रशासन ने सुरक्षा और कानून व्यवस्था को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। कलेक्टर राजेंद्र कटारा ने आशंका जताई कि समिति की बैठक के दौरान भारी भीड़ एकत्रित हो सकती है, जिससे तनाव या टकराव की स्थिति बन सकती है। इसी कारण बलरामपुर जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय के 500 मीटर दायरे में धारा 144 लागू कर दी गई है।
इस आदेश के तहत कार्यालय परिसर के आसपास किसी भी प्रकार की रैली, जुलूस, सभा, प्रदर्शन, धरना या हड़ताल पूरी तरह प्रतिबंधित रहेगा। एक स्थान पर चार से अधिक व्यक्तियों के जुटने पर भी रोक रहेगी। साथ ही ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों को छोड़कर कोई भी व्यक्ति किसी तरह के हथियार, धारदार औजार या विस्फोटक सामग्री लेकर नहीं चल सकेगा।
आदेश 11 दिसंबर 2025 से अगली सूचना तक प्रभावशील रहेगा। धारा 144 का उल्लंघन करने वाले व्यक्तियों पर दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 188 के तहत कठोर कार्रवाई की जाएगी।
जाति प्रमाण पत्र विवाद की सुनवाई और प्रशासनिक सतर्कता ने प्रतापपुर और बलरामपुर दोनों जगह राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। आने वाले दिनों में यह मामला छत्तीसगढ़ की सियासत में नई करवट ला सकता है।

Comments