पत्नी की निर्मम हत्या के मामले में कोर्ट ने पति को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

पत्नी की निर्मम हत्या के मामले में कोर्ट ने पति को सुनाई आजीवन कारावास की सजा

गौरेला-पेंड्रा-मरवाही : जिले में पत्नी की निर्मम हत्या के मामले में न्यायालय ने कड़ा फैसला सुनाते हुए आरोपी पति को आजीवन कारावास की सजा दी है। यह निर्णय गौरेला-पेंड्रा-मरवाही के प्रथम अपर सत्र न्यायालय द्वारा सुनाया गया। प्रथम अपरसत्र न्यायाधीश ज्योति अग्रवाल की अदालत ने आरोपी लोधूराम बैगा को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद और अर्थदंड की सजा सुनाई।मामला गौरेला थाना क्षेत्र के पंडरीपानी गांव का है। घटना 19 दिसंबर 2024 की है, जब आरोपी लोधूराम बैगा ने घरेलू विवाद के दौरान अपनी पत्नी बिरसिया बाई की लकड़ी से पीट-पीटकर हत्या कर दी थी। पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी शराब का आदी था और आए दिन नशे की हालत में पत्नी से विवाद करता था। घटना वाले दिन भी नशे में हुए झगड़े ने हिंसक रूप ले लिया, जिसके बाद उसने वारदात को अंजाम दिया।

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घटना की सूचना मिलते ही गौरेला पुलिस मौके पर पहुंची और शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम कराया गया। प्रारंभिक जांच और गवाहों के बयान के आधार पर पुलिस ने आरोपी पति को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया था। विवेचना के दौरान पुलिस ने पर्याप्त साक्ष्य एकत्र किए, जिनमें प्रत्यक्षदर्शियों के बयान, पोस्टमार्टम रिपोर्ट और जब्त किए गए हथियार शामिल थे। मामले की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष की ओर से अतिरिक्त लोक अभियोजक कौशल सिंह ने प्रभावी पैरवी की। उन्होंने अदालत के समक्ष यह स्पष्ट किया कि आरोपी ने जानबूझकर और क्रूरता के साथ अपनी पत्नी की हत्या की है। अभियोजन ने यह भी तर्क दिया कि आरोपी का आपराधिक कृत्य घरेलू हिंसा का गंभीर उदाहरण है और समाज में ऐसे अपराधों पर कड़ा संदेश जाना आवश्यक है।

सभी साक्ष्यों और गवाहों के आधार पर न्यायालय ने आरोपी लोधूराम बैगा को दोषी करार दिया। न्यायाधीश ज्योति अग्रवाल ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 103(1) के तहत आरोपी को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। इसके साथ ही एक हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है। न्यायालय ने आदेश दिया कि यदि आरोपी अर्थदंड का भुगतान नहीं करता है, तो उसे तीन माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा। इस फैसले के बाद क्षेत्र में यह संदेश गया है कि घरेलू हिंसा और महिलाओं के खिलाफ अपराधों पर कानून सख्ती से कार्रवाई करता है। स्थानीय लोगों और सामाजिक संगठनों ने न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि इससे समाज में कानून का भय और महिलाओं की सुरक्षा को लेकर सकारात्मक संदेश जाएगा।







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