छत्तीसगढ़ के इस जिले में मिला कोयले का नया भंडार

छत्तीसगढ़ के इस जिले में मिला कोयले का नया भंडार

बैकुंठपुर : कोरिया के वनांचल ब्लॉक सोनहत के ग्राम लब्जी-पुसला में कोकिंग कोयले का नया भंडार मिला है। इसके बाद कोल इंडिया को नई खदान खोलने के लिए प्रपोजल भेजा गया है। अनुमति मिलने के बाद कोरिया से हर साल 30 लाख टन स्टील इंडस्ट्रीज को कोकिंग कोयला भेजा जाएगा। नई खदान से रेलवे साइडिंग तक कोयला परिवहन करने 12 किलोमीटर तक फ्लाई ओवर कंवेयर बेल्ट बनाने की तैयारी है।सीएमपीडीआई और एमईसीएल की मदद से सोनहत ब्लॉक के विभिन्न ग्राम पंचायतों में नया कोयला भंडार खोजने कई साल से सर्वे चल रहा है। इसी बीच लब्जी-पुसला में नया कोयला भंडार (New coal reserve in CG) मिला है, जो कि कोकिंग कोयला है। इसे स्टील इंडस्ट्रीज को आपूर्ति की जाएगी।

मामले में एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र ने नई खदान खोलने (New coal reserve in CG) को लेकर प्रक्रिया आगे बढ़ाई है। राजस्व विभाग से अधिग्रहण करने 10 हेक्टयर प्राइवेट जमीन चिह्नित कराई गई है और शेष जमीन फॉरेस्ट की अधिग्रहित होगी। वहीं करीब 4 हेक्टयर में कोयला खदान में खनन सहित अन्य गतिविधियां होगी।

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कोल इंडिया से मंजूरी मिलने के बाद नई कोकिंग कोयला खदान खुलेगी। इससे अगले 25-30 साल तक सालाना 30 लाख टन कोयले की आपूर्ति होगी। इससे सोनहत एरिया में नई खदान के आसपास क्षेत्र में रोजगार की संभावनाएं भी बढ़ेगी।

नगर रेलवे स्टेशन में बनेगा नया कोल साइडिंग

एसईसीएल के मुताबिक, नई खदान लब्जी-पुसला से कोयला खनन (New coal reserve in CG) करने के बाद रेलवे रैक से स्टील इंडस्ट्रीज को भेजा जाएगा। नगर रेलवे स्टेशन के पास कोल साइडिंग बनाने जमीन फाइनल कर ली गई है। लेकिन नई खदान से रेलवे साइडिंग तक कोयला परिवहन करने के लिए सडक़ सही नहीं है।

हालांकि पक्की सडक़ बनी है, जो बहुत संकरी है और अगल-बगल खाई होने के कारण हादसे का डर बना रहेगा। इसलिए हादसे को ध्यान में रखकर लब्जी-पुसला से नगर रेलवे स्टेशन तक 12 किमी फ्लाईओवर कंवेयर बेल्ट बनाने और सडक़ मार्ग, दोनों विकल्प पर एक्सपर्ट टीम रिपोर्ट तैयार कर रही है।

क्या है कोकिंग कोयला?
एसईसीएल के मुताबिक कोकिंग कोयला एक विशेष प्रकार का बिटुमिनस कोयला है, जिसे गर्म करने पर एक सख्त, छिद्रपूर्ण और मजबूत पदार्थ बनाता है। इसे कोक कहते हैं। इसका इस्पात निर्माण में एक महत्वपूर्ण कच्चे माल के रूप में उपयोग किया जाता है। कोक को स्टील इंडस्ट्रीज में ब्लास्ट फर्नेस में कच्चा लोहा बनाने के लिए एक ईंधन और अभिकारक के रूप में उपयोग करते हैं।

इसकी खास बात यह है कि यह गर्म करने पर नरम होकर फूल जाता है और इसमें वाष्पशील पदार्थ कम होते हैं। ऑक्सीजन की अनुपस्थिति में उच्च तापमान पर गर्म करने पर कोक में बदल जाता है। कोकिंग कोयले से बना कोक इस्पात निर्माण प्रक्रिया का एक अति महत्वपूर्ण हिस्सा है।

कोल इंडिया की अनुमति का इंतजार
एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र के महाप्रबंधक बीएन झा ने कहा कि सोनहत क्षेत्र के ग्राम लब्जी-पुसला में कोकिंग कोयले का नया भंडार मिला है। जहां नई खदान (New coal reserve in CG) खोलने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। कोल इंडिया से अनुमति मिलने के बाद नई खदान खुलेगी और सालाना 30 लाख टन कोयला उत्पादन होगा। जहां से कोकिंग कोयला खनन कर स्टील इंडस्टीज को आपूर्ति की जाएगी।







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