महाराष्ट्र नगर परिषद एवं नगर पंचायत चुनावों में भाजपा का डंका,MVA का हाल बुरा

महाराष्ट्र नगर परिषद एवं नगर पंचायत चुनावों में भाजपा का डंका,MVA का हाल बुरा

मुंबई: महाराष्ट्र में 286 नगर परिषद एवं नगर पंचायतों के लिए हुए चुनावों में भाजपा ने 120 से अधिक स्थानों पर अपने नगराध्यक्ष जिताकर एक बार फिर अपनी ताकत सिद्ध कर दी है। सरकार में उसके सहयोगी दलों में से शिवसेना के 54 एवं राकांपा के 40 नगराध्यक्ष बन सकते हैं।

दूसरी ओर विपक्षी गठबंधन महाविकास आघाड़ी में कांग्रेस 34 स्थानों पर अपने नगराध्यक्ष बनाकर सबसे आगे हैं, जबकि शिवसेना (यूबीटी) के हिस्से में सिर्फ आठ एवं राकांपा (शरदचंद्र पवार) के हिस्से में सात नगराध्यक्ष पद ही आते दिख रहे हैं।

भाजपा के खाते में सबसे ज्यादा सीटें

महाराष्ट्र में इन दिनों स्थानीय निकाय चुनावों का दौर चल रहा है। इसके प्रथम चरण में आज 286 नगर परिषद एवं नगर पंचायतों के लिए दो दिसंबर एवं 20 दिसंबर को हुए चुनावों के परिणाम आज घोषित हुए हैं। इन चुनावों में भाजपा अपने सहयोगियों एवं विरोधियों दोनों से बहुत आगे खड़ी दिखाई दे रही है। इससे जहां उसकी राज्यव्यापी ताकत बढ़ती दिखाई दे रही है, वहीं मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के राजनीतिक कौशल पर भी एक बार फिर मुहर लग गई है।

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इन चुनावों में भाजपा के कुछ नगराध्यक्ष तो शुरुआत में ही निर्विरोध चुनकर आ गए थे। अब सभी सीटों के लिए हुए चुनाव में भी भाजपा नगराध्यक्षों की संख्या के हिसाब से अपनी सहयोगी शिवसेना से दोगुने से ज्यादा एवं राकांपा से तीन गुने अधिक नगराध्यक्ष चुनवाकर लाने में सफल रही है। जबकि वोटचोरी का आरोप लगाकर उसे घेरनेवाली कांग्रेस उससे बहुत पीछे रह गई है, और उद्धव ठाकरे की शिवसेना (यूबीटी) का तो सफाया ही हो गया है।

शिवसेना शिंदे का दबदबा बढ़ा

महाराष्ट्र पर अपना एकाधिकार जताने वाली शिवसेना (यूबीटी) सिर्फ नगर परिषदों एवं नगर पंचायतों में अपने नगराध्यक्ष चुनवाने में सफल हो सकी है। इससे एक बार फिर उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की शिवसेना का प्रभाव अधिक होने पर मुहर लग गई है।

अजीत पवार की ताकत में इजाफा

दूसरे उपमुख्यमंत्री अजीत पवार भी अपने चाचा शरद पवार को तगड़ी शिकस्त देने में सफल रहे हैं। उनकी पार्टी राकांपा का झंडा 40 जगहों पर फहराया है। इनमें उनका गृहनगर बारामती भी शामिल हैं, जहां से पिछले लोकसभा चुनाव में उनकी पत्नी को हराकर उनकी चचेरी बहन सुप्रिया सुले सांसद बनी थीं।

इन चुनाव परिणामों ने करीब 25 दिनों बाद होने जा रहे राज्य की 29 महानगरपालिकाओं की बानगी भी पेश कर दी है। इनमें मुंबई, ठाणे, नागपुर, पुणे, नासिक एवं पिंपरी-चिंचवड़ जैसी बड़े बजट वाली महानगरपालिकाएं भी शामिल हैं। मुंबई महानगरपालिका पर तो ठाकरे परिवार का राजनीतिक भविष्य टिका है। विधानसभा चुनाव में बुरी तरह हारने के बाद अब मुंबई महानगरपालिका पर ही शिवसेना (यूबीटी) की आखिरी उम्मीद टिकी है।

उन्होंने बीएमसी का चुनाव जीतने के लिए अपने चचेरे भाई राज ठाकरे से वर्षों से चली आ रही अनबन भी भुला दी है। बीएमसी पर शिवसेना (अविभाजित) का कब्जा करीब 30 साल से चला आ रहा है। लेकिन अब नगर परिषद एवं नगर पंचायत चुनाव के परिणामों ने 15 जनवरी को होने जा रहे 29 महानगरपालिका चुनावों के लिए भी भाजपा के हौसले बुलंद कर दिए हैं।







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