भारत में 10.1 करोड़ लोग डायबिटीज से जूझ रहे हैं जिसमें से टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों की संख्या अधिक है. अब टाइप 2 डायबिटीज के मरीजों के लिए एक राहत भरी खबर सामने आई है. वैज्ञानिकों का कहना है कि ब्लड शुगर को कंट्रोल करने के लिए अब उन लोगों को अधिक मेहनत करने की जरूरत नहीं होगी, बस रोजाना कुछ घंटे खिड़की के पास बैठना ही आपके लिए 'गेमचेंजर' साबित हो सकता है. यानी कि धूप में बैठकर भी ब्लड शुगर कंट्रोल हो सकता है. 'सेल मेटाबॉलिज्म' जर्नल में पब्लिश इस स्टडी के मुताबिक, प्राकृतिक रोशनी यानी डे-लाइट शरीर में ग्लूकोज लेवल को बैलेंस रखने में मदद करती है.
आर्टिफिशियल लाइट नहीं असरदार
सूरज की रोशनी मूड को बेहतर करने और हेल्थ के लिए अच्छी मानी जाती है लेकिन रिसर्चर्स का कहना है कि आज की मॉडर्न लाइफस्टाइल में लोग अपना 80 से 90 प्रतिशत समय घर या ऑफिस के अंदर बिताते हैं जहां वे आर्टिफिशियल लाइटों में रहते हैं जो सूरज की रोशनी जितनी तेज और असरदार नहीं होतीं.
हमारा शरीर सर्केडियन रिदम (Circadian Rhythm) यानी 24 घंटे की एक इंटरनल क्लॉक पर काम करता है. यही घड़ी हमारे डाइजेशन और शरीर के तापमान को कंट्रोल करती है. ये क्लॉक रोशनी के साथ तालमेल बिठाती हैं और प्राकृतिक रोशनी की कमी टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को बढ़ा देती है.
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रिसर्च में कैसे हुआ साबित?
वैज्ञानिकों ने इस थ्योरी को समझने के लिए वैज्ञानिकों ने टाइप 2 डायबिटीज वाले 13 वॉलंटियर्स को सिलेक्ट किया और उन्हें 2 अलग-अलग मौकों पर 4-5 दिनों के लिए ऑफिस जैसे माहौल में रखा गया:
पहला ग्रुप सुबह से शाम तक बड़ी खिड़कियों के सामने बैठे और दूसरे ग्रुप को उसी कमरे में रखा गया, लेकिन खिड़कियां बंद कर दी गईं और केवल ऑफिस वाली लाइटें जलाई गईं. दोनों को खाना, एक्सरसाइज और दवाएं बिल्कुल एक जैसी दी गईं.
स्टडी के नतीजों में पाया गया कि जब मरीज प्राकृतिक रोशनी (Daylight) में थे तो उनका ब्लड शुगर लेवल 'नॉर्मल रेंज' में अधिक समय तक रहा. यही नहीं, सूरज की रोशनी में शरीर का मेटाबॉलिज्म भी बदल गया. वॉलंटियर्स के शरीर ने एनर्जी के लिए फैट को ज्यादा जलाया और कार्बोहाइड्रेट का कम इस्तेमाल किया.
वैज्ञानिकों ने मसल्स बायोप्सी भी की और लैब में मसल्स ग्रो कराई. वैज्ञानिकों ने पाया कि बॉडी क्लॉक में शामिल जीन्स सूरज की रोशनी में ज्यादा बेहतर तरीके से काम कर पा रहे थे. सूरज की रोशनी मसल्स को ये संकेत दे रही थी कि मसल्स नियमित ढंग से काम करें जिससे मसल्स पोषक तत्वों का बेहतर तरीके से अवशोषण कर पा रही थीं.
शुगर कंट्रोल करने का नेचुरल तरीका
वैज्ञानिकों के मुताबिक, रिसर्च छोटे लेवल पर हुई है लेकिन इसके रिजल्ट बताते हैं कि सूरज की रोशनी उन मरीजों के लिए रामबाण हो सकती है जिनका शुगर लेवल बार-बार ऊपर-नीचे होता रहता है. यह मेडिकल ट्रीटमेंट के साथ शुगर मैनेज करने का सबसे आसान और प्राकृतिक तरीका है.

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