बेमेतरा टेकेश्वर दुबे : बेमेतरा विधानसभा अंतर्गत ग्राम लोलेसरा में 21 से 24 दिसंबर तक आयोजित पंथ श्री हुजूर उग्रनाम साहेब स्मृति संत समागम मेला के द्वितीय दिवस मेला स्थल पहुंचकर विधायक दीपेश साहू ने परम पूज्य श्री हुजूर प्रकाशमुनि नाम साहेब, नवोदित वंशाचार्य श्री उदितमुनि नाम साहेब एवं गुरु गोसाई डॉ. भानुप्रताप साहेब के पावन श्रीचरणों में नमन कर आशीर्वाद एवं दर्शन लाभ प्राप्त किया। इस अवसर पर विधायक दीपेश साहू ने कबीर वाणी सत्संग का रसपान किया। उन्होंने कहा कि कबीर साहेब की वाणी मनुष्य को आडंबर, भेदभाव और अहंकार से मुक्त कर सत्य, प्रेम और मानवता के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देती है। सत्संग के माध्यम से आध्यात्मिक शांति, आत्मिक आनंद एवं जीवन के मूल मानवीय मूल्यों को आत्मसात करने का अनुपम अवसर प्राप्त हुआ।विधायक साहू ने कहा कि यह संत समागम केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता, शांति, सद्भाव और समानता का जीवंत संदेश है। ऐसे आयोजनों से समाज को सही दिशा मिलती है और युवा पीढ़ी को संस्कारों से जुड़ने का अवसर मिलता है। उन्होंने आयोजन समिति, संत समाज एवं ग्रामवासियों को इस भव्य एवं अनुशासित आयोजन के लिए बधाई देते हुए संत परंपरा को समाज की आत्मा बताया।
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संत कबीर साहेब केवल एक संत नहीं, बल्कि एक चेतना हैं, एक विचारधारा हैं, जो मानव को मानव से जोड़ने का कार्य करती है।” साहू ने कहा की आज जब समाज जाति, वर्ग, भाषा और विचारधाराओं में बंटने का प्रयास कर रहा है, तब कबीर साहेब की वाणी हमें जोड़ने का कार्य करती है। संत समागम जैसे आयोजन हमें यह सिखाते हैं कि सभी मनुष्य समान हैं और सेवा, सत्य एवं सद्भाव ही सच्चा धर्म है। परम पूज्य श्री हुजूर प्रकाशमुनि नाम साहेब, नवोदित वंशाचार्य श्री उदितमुनि नाम साहेब एवं गुरु गोसाई डॉ. भानुप्रताप साहेब जैसे संतों का मार्गदर्शन समाज के लिए प्रकाश स्तंभ है। इनके आशीर्वचन समाज को सही मार्ग दिखाते हैं और नई पीढ़ी को संस्कारों से जोड़ते हैं। यह मेला हमें यह भी सिखाता है कि धर्म का वास्तविक स्वरूप मानव सेवा, नशामुक्ति, शिक्षा, समरसता और शांति में निहित है। कबीर धर्म सनातन परंपरा का वह उज्ज्वल रूप है, जो बिना भेदभाव के पूरे समाज को एक सूत्र में बांधता है। मैं इस पावन अवसर पर यही कामना करता हूँ कि संत कबीर साहेब की वाणी हर घर, हर मन और हर हृदय तक पहुंचे। यह समागम समाज में प्रेम, भाईचारे और शांति की अलख जगाता रहे।

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