बृहस्पति देव को कैसे प्रसन्न करें? यहां जानें उपाय

बृहस्पति देव को कैसे प्रसन्न करें? यहां जानें उपाय

सनातन धर्म में गुरुवार का दिन जगत के पालनहार के भगवान विष्णु को समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु और देवताओं के गुरु बृहस्पति देव की पूजा की जाती है। साथ ही गुरुवार का व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से साधक पर भगवान विष्णु की कृपा बरसती है।

ज्योतिष गुरु दोष से निजात पाने के लिए गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करने की सलाह देते हैं। हालांकि, गुरु कमजोर होने पर जातक को करियर में परेशानी का सामना करना पड़ता है। साथ ही अविवाहित जातक की शादी में बाधा आती है। अगर आप भी गुरु दोष के प्रभाव से निजात पाना चाहते हैं, तो गुरुवार के दिन ये उपाय जरूर करें।

गुरु देव
देवताओं के गुरु बृहस्पति देव हैं। बृहस्पति देव को ज्ञान का कारक माना जाता है। धनु और मीन राशि के स्वामी गुरु देव हैं। वहीं, कर्क राशि के जातकों को गुरु हमेशा शुभ फल देते हैं। आसान शब्दों में कहें तो कर्क राशि में गुरु उच्च के होते हैं। भगवान विष्णु की पूजा करने से बृहस्पति देव प्रसन्न होते हैं। अपनी कृपा साधक पर बरसाते हैं।

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गुरु दोष के उपाय:-
गुरुवार के दिन स्नान ध्यान करने के बाद केसर युक्त दूध से भगवान विष्णु का अभिषेक करें। इस उपाय को करने से साधक पर बृहस्पति देव की असीम कृपा बरसती है।
देवगुरु बृहस्पति को प्रसन्न करने के लिए गुरुवार के दिन भगवान विष्णु की पूजा करें। साथ ही गुरुवार का व्रत रखें। इस व्रत को करने से साधक की हर मनोकामना पूरी होती है। साथ ही साधक पर बृहस्पति देव की कृपा बरसती है।
गुरु दोष से निजात पाने के लिए हर गुरुवार को पीले रंग की चीजों का दान करें। आप हल्दी, चने की दाल, पीले चंदन, पीले रंग के फल और फूल आदि चीजों का दान करें।
गुरुवार के दिन केसर युक्त दूध का सेवन करें। साथ ही पुखराज धारण कर सकते हैं। इस रत्न को धारण करने से भी गुरु मजूबत होता है।
गुरु हेतु मंत्र
1. ॐ गुरवे नमः”

2. ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं सः गुरवे नमः

3. ॐ श्री विष्णवे च विद्महे वासुदेवाय धीमहि।
तन्नो विष्णुः प्रचोदयात्॥

4. शान्ताकारम् भुजगशयनम् पद्मनाभम् सुरेशम्
विश्वाधारम् गगनसदृशम् मेघवर्णम् शुभाङ्गम्।
लक्ष्मीकान्तम् कमलनयनम् योगिभिर्ध्यानगम्यम्
वन्दे विष्णुम् भवभयहरम् सर्वलोकैकनाथम्॥

5. मङ्गलम् भगवान विष्णुः, मङ्गलम् गरुडध्वजः।
मङ्गलम् पुण्डरी काक्षः, मङ्गलाय तनो हरिः॥







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