परमेश्वर राजपूत, गरियाबंद : जिला मुख्यालय गरियाबंद के सुदूर वनांचल क्षेत्र ग्राम आमामोरा में प्रयोग समाजसेवी संस्था के तत्वावधान में संगठन मुखियाओं एवं ग्रामीणों की एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई। बैठक की शुरुआत मां भारती के छायाचित्र में पूजा-अर्चना के साथ की गई।
इस अवसर पर प्रमुख रूप से प्रयोग समाजसेवी संस्था के अध्यक्ष सीताराम सोनवानी, जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम, जिला लघु वनोपज समिति गरियाबंद के अध्यक्ष कल्याण सिंह कपिल, भुजिया विकास अभिकरण के अध्यक्ष ग्वालसिंह सोरी, ग्राम पंचायत आमामौरा के पूर्व सरपंच पोटो सिंह मरकाम, वर्तमान सरपंच अर्जुन लाल सोरी तथा वरिष्ठ सामाजिक कार्यकर्ता राजेंद्र सिंह राजपूत उपस्थित रहे।
आश्रम भवन में हुई बैठक, 50 से अधिक ग्रामीण शामिल आमामोरा के आश्रम भवन में आयोजित इस बैठक में आमामौरा, जोबपारा एवं कुकरार ग्रामों से लगभग 50 महिला-पुरुष ग्रामीणों ने भाग लिया। बैठक का मुख्य उद्देश्य जल, जंगल, जमीन, ग्राम विकास, विस्थापन, वन अधिकार तथा ग्रामसभा को सशक्त बनाने जैसे मुद्दों पर विस्तार से चर्चा करना रहा।
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ग्रामसभा सर्वोच्च, फेडरेशन गठन का सुझाव
जिला पंचायत सदस्य लोकेश्वरी नेताम ने कहा कि यह क्षेत्र छठवीं अनुसूची के अंतर्गत आता है, जहां ग्रामसभा का निर्णय सर्वोपरी होता है। उन्होंने ग्रामसभाओं को और अधिक सशक्त बनाने पर जोर देते हुए सुझाव दिया कि आसपास के ग्राम पंचायतों को मिलाकर एक फेडरेशन का गठन किया जाए, जिसमें छत्तीसगढ़ सीमा से लगे सोनाबेड़ा (उड़ीसा) क्षेत्र को भी शामिल किया जाए, ताकि ग्राम विकास व अन्य जनसमस्याओं को लेकर शासन-प्रशासन से प्रभावी संवाद किया जा सके।
वनोपज व गौण खनिज पर ग्रामसभा का अधिकार
जिला लघु वनोपज समिति अध्यक्ष कल्याण सिंह कपिल ने कहा कि वनांचल क्षेत्र में उपलब्ध वनोपज की खरीदी-बिक्री के लिए शासन द्वारा प्रावधान किए गए हैं और वनोपज व गौण खनिजों पर ग्रामसभा का अधिकार है। उन्होंने बताया कि तेंदूपत्ता संग्राहक परिवार के मुखिया या सदस्य की मृत्यु होने पर क्षतिपूर्ति राशि, छात्रवृत्ति जैसी योजनाओं का लाभ भी दिया जाता है।उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि यह क्षेत्र सेंचुरी एरिया में आने के कारण विस्थापन की बात कही जा रही है, लेकिन इस संबंध में अंतिम निर्णय लेने का अधिकार ग्रामसभा के पास ही है, शासन या विभाग मनमाने निर्णय नहीं थोप सकता।
आदिवासी संस्कृति व अधिकारों की रक्षा जरूरी
भुजिया विकास अभिकरण अध्यक्ष ग्वालसिंह सोरी ने कहा कि पिछड़ी एवं विशेष पिछड़ी जनजातियों के विकास के लिए योजनाएं संचालित हो रही हैं, लेकिन अपेक्षित विकास अब तक नहीं हो पाया है। आदिवासी समाज को अपने जल, जंगल, जमीन और संस्कृति की रक्षा के लिए स्वयं आगे आना होगा। छठवीं अनुसूची एवं संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकारों के तहत ग्रामसभा को शासन-प्रशासन से संवाद व संघर्ष करने का पूरा अधिकार है।पलायन, सड़क, बिजली, पानी और वन अधिकार प्रमुख मुद्देसीताराम सोनवानी ने कहा कि सुदूर वनांचल आमामौरा आज भी सड़क, बिजली, पेयजल और रोजगार जैसी मूलभूत सुविधाओं से वंचित है। इन समस्याओं के कारण क्षेत्र से 200 से 250 परिवार आंध्रप्रदेश एवं तेलंगाना में ईंट-भट्ठों में काम करने के लिए पलायन कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि वन अधिकार अधिनियम के तहत एक व्यक्ति को अधिकतम चार हेक्टेयर भूमि का अधिकार दिया जाना है, लेकिन वर्षों से काबिज आदिवासियों को अब तक वन अधिकार पत्र नहीं मिला है। आमामोरा में 42 लोग इसके लिए पात्र हैं, फिर भी उन्हें अधिकार पत्र नहीं दिया जा रहा। इसके लिए ग्रामसभा को संगठित होकर शासन से संवाद करने की अपील की गई। पंचायत व स्वास्थ्य सुविधाओं की बदहाली उजागरसरपंच अर्जुन लाल सोरी ने क्षेत्र की समस्याओं की ओर ध्यान दिलाते हुए बताया कि पंचायत में पूर्णकालिक सचिव नहीं है, रोजगार सहायक का भी प्रभार अन्य पंचायत से है, जिससे शासन की योजनाओं का लाभ समय पर नहीं मिल पा रहा है।उप-स्वास्थ्य केंद्र एक कमरे में संचालित हो रहा है, पेयजल के लिए लगाए गए हैंडपंप में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होने से लोग झरिया का पानी पीने को मजबूर हैं। आज तक विद्युतीकरण का कार्य भी नहीं हुआ है।ग्रामीणों ने बताया कि मनरेगा के तहत भी पर्याप्त काम नहीं मिल रहा है। धोबघाट नाला में डायवर्सन निर्माण कर पेयजल समस्या दूर की जा सकती है तथा क्षेत्र में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खोलने की आवश्यकता है।लिखित आवेदन व कार्ययोजना बनाने का निर्णय बैठक में उपस्थित सभी ग्रामीणों ने समस्याओं के निराकरण के लिए शासन-प्रशासन को लिखित आवेदन देने तथा आगामी समय में एक ठोस कार्ययोजना व रणनीति बनाकर आंदोलनात्मक व संवादात्मक पहल करने का निर्णय लिया। कार्यक्रम का संचालन राजेंद्र सिंह राजपूत ने किया। इस अवसर पर सामाजिक कार्यकर्ता हिरौंधी नेताम, सुनीता कुर्रे, मित्ठल विश्वकर्मा, उपसरपंच लखनुराम, पंच बधाराम सोरी, नर्मदाबाई, शांतिबाई, उमंगबाई, धन्मोतीन सहित बड़ी संख्या में ग्रामीणजन उपस्थित रहे।

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