उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में गेहूं की खेती किसानों के लिए कम लागत में अच्छा मुनाफा देने वाली फसल मानी जाती है. जिले के कई किसान गन्ने की कटाई के बाद दिसंबर माह में भी गेहूं की पछेती बुवाई करते हैं, जिससे सीमित समय में बेहतर आमदनी प्राप्त की जा सकती है. इस बार भी बड़ी संख्या में किसान गन्ने के खेतों में गेहूं की बुवाई की तैयारी कर रहे हैं.
जिला कृषि अधिकारी सूर्य प्रताप सिंह ने बताया कि जिन किसानों ने अभी तक गेहूं की बुवाई नहीं की है, वे 25 दिसंबर तक बुवाई कर सकते हैं. विलंब से बुवाई की स्थिति में किसानों को उन्नत और पछेती बुवाई के लिए उपयुक्त किस्मों का चयन करना चाहिए. देर से बुवाई के लिए एचडी 3298, डीबीडब्ल्यू 316 और बीबीडब्ल्यू 757 किस्में उपयुक्त मानी जाती हैं.पछेती बुवाई में खेत में पौध संख्या संतुलित रखने के लिए बीज की मात्रा सामान्य से लगभग 25 प्रतिशत अधिक रखनी चाहिए, जिससे उत्पादन पर सकारात्मक असर पड़ता है.
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70 क्विंटल तक होगा उत्पादन
उत्पादन की बात करें तो डीबीडब्ल्यू 316 किस्म से प्रति हेक्टेयर 68 से 70 क्विंटल तक उपज प्राप्त की जा सकती है. वहीं एचडी 3298 किस्म की बुवाई दिसंबर से जनवरी तक की जा सकती है, जिससे 40 से 47 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन संभव है. बीबीडब्ल्यू 757 किस्म से किसान 36 से 45 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उपज प्राप्त कर सकते हैं.जिला कृषि अधिकारी ने यह भी बताया कि किसान राजकीय कृषि बीज भंडार से 50 प्रतिशत अनुदान पर गेहूं के प्रमाणित बीजों की खरीद कर सकते हैं, जिससे खेती की लागत कम होगी और मुनाफा बढ़ेगा.

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