बेमेतरा टेकेश्वर दुबे : यूँ तो हम सभी ने बचपन में दादी-नानी की जुबानी अनेक कहानियाँ सुनी हैं, लेकिन कुछ कहानियाँ ऐसी होती हैं जो कल्पना नहीं, बल्कि जीवन की कठोर सच्चाई से जन्म लेती हैं। ऐसी ही एक प्रेरक और सच्ची कहानी है ग्राम हसदा की रहने वाली श्रीमती डिलेश्वरी ठाकुर की, जिनके जीवन में कठिन परिस्थितियों के अंधकार से निकलकर आशा और आत्मविश्वास की रोशनी प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना के माध्यम से आई। डिलेश्वरी ठाकुर बताती हैं कि उनका विवाह श्री रामूराम ठाकुर के साथ एक अत्यंत गरीब परिवार में हुआ। उनके परिवार में केवल तीन सदस्य थे—पति, सास और वे स्वयं। परिवार की आजीविका का एकमात्र साधन उनके पति की मजदूरी थी। जीवन किसी तरह आगे बढ़ रहा था, तभी एक दिन काम से लौटते समय उनके पति का गंभीर सड़क दुर्घटना में एक्सीडेंट हो गया, जिससे उनका पैर फैक्चर हो गया। इसके बाद परिवार की स्थिति अत्यंत दयनीय हो गई। घर में कमाने वाला कोई नहीं था, सास की तबियत पहले से ही खराब रहती थी और इसी दौरान डिलेश्वरी स्वयं गर्भवती भी थीं। ऐसे समय में परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा और वे मानसिक व आर्थिक रूप से पूरी तरह टूट चुकी थीं।
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डिलेश्वरी बताती हैं कि इसी कठिन दौर में उनके जीवन में आशा की किरण बनकर आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दीदी माया वर्मा उनके घर पहुँचीं। उन्होंने डिलेश्वरी को गर्भवती महिला के रूप में आंगनबाड़ी केंद्र में पंजीकृत किया और नियमित रूप से स्वास्थ्य केंद्र जाकर टीकाकरण कराने की सलाह दी। साथ ही आयरन, कैल्शियम, फोलिक एसिड जैसी आवश्यक दवाओं का डॉक्टर की सलाह अनुसार सेवन करने के लिए प्रेरित किया।आंगनबाड़ी कार्यकर्ता ने उन्हें प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना की जानकारी दी और बताया कि पहली गर्भावस्था पर शासन द्वारा दो किस्तों में कुल पाँच हजार रुपये की सहायता राशि दी जाती है। तत्पश्चात उनका पंजीयन कराया गया और आवश्यक फार्म भरवाए गए। इसके साथ ही उन्हें आंगनबाड़ी केंद्र से मिलने वाले रेडी टू ईट पोषण आहार के बारे में जानकारी दी गई तथा उसे छह बराबर भागों में बाँटकर प्रतिदिन हलवा या अन्य पौष्टिक व्यंजन बनाकर सेवन करने की सलाह दी गई।
कुछ महीनों के भीतर डिलेश्वरी को प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना की पहली किस्त के रूप में ₹3000 की राशि प्राप्त हुई। वे भावुक स्वर में बताती हैं कि यह राशि उनके लिए उस समय अमृत के समान थी। इसी सहायता से उन्होंने अपने घर का खर्च चलाया और स्वयं व अपने परिवार का पोषण बेहतर ढंग से कर पाईं। नियमित देखभाल और पोषण के फलस्वरूप उन्होंने एक स्वस्थ एवं सुंदर बच्ची को जन्म दिया। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता दीदी के मार्गदर्शन में बच्चे का समय पर संपूर्ण टीकाकरण कराया गया। टीकाकरण पूर्ण होने पर प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना की दूसरी किस्त ₹2000 की राशि भी उन्हें प्राप्त हुई। इस राशि का उपयोग उन्होंने कार्यकर्ता की सलाह अनुसार अपनी बच्ची के नाम सुकन्या समृद्धि योजना के अंतर्गत खाता खुलवाकर किया और आज भी उसमें नियमित रूप से बचत कर रही हैं, ताकि उनकी बेटी का भविष्य सुरक्षित और उज्ज्वल बन सके।
डिलेश्वरी ठाकुर भावुक होकर कहती हैं— "मैं महिला एवं बाल विकास विभाग, राज्य शासन और माननीय मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय जी का हृदय से धन्यवाद करती हूँ। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना जैसी जनकल्याणकारी योजना ने मुझे उस समय सहारा दिया, जब मैं पूरी तरह टूट चुकी थी। आज मैं आत्मविश्वास से भरी हूँ, अपने बच्चे का भविष्य संवार रही हूँ। शासन की इन योजनाओं ने मुझे फिर से खड़े होने की ताकत दी है।" डिलेश्वरी की यह कहानी इस बात का सशक्त उदाहरण है कि जब शासकीय योजनाएँ ज़रूरतमंदों तक सही समय पर पहुँचती हैं, तो वे केवल आर्थिक सहायता नहीं देतीं, बल्कि जीवन को नई दिशा, नया आत्मबल और नया भविष्य भी प्रदान करती हैं। प्रधानमंत्री मातृत्व वंदना योजना सचमुच मातृत्व की गरिमा और महिलाओं की आत्मशक्ति को सशक्त बनाने की दिशा में एक सफल और प्रभावी पहल है।

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