मोटापे से छुटकारा पाना होगा आसान, वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला इसका असरदार उपाय

मोटापे से छुटकारा पाना होगा आसान, वैज्ञानिकों ने ढूंढ निकाला इसका असरदार उपाय

नई दिल्ली :  ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी सिडनी के शोधकर्ताओं ने कुछ ऐसी प्रायोगिक दवाएं विकसित की हैं, जो सीधे हमारे शरीर के 'माइटोकॉन्ड्रिया' को टारगेट करती हैं। यह नई खोज मोटापे के इलाज में एक क्रांतिकारी बदलाव ला सकती है।

क्या है यह नई तकनीक?

इस शोध का मुख्य लक्ष्य 'माइटोकॉन्ड्रियल अनकपलर' हैं। ये खास तरह के अणु होते हैं जो शरीर की ऊर्जा खपत के तरीके को बदल देते हैं।आसान भाषा में कहें तो, सामान्य तौर पर हमारी कोशिकाएं ऊर्जा को जमा करती हैं, लेकिन ये नए अणु कोशिकाओं को ऊर्जा को कुशलता से स्टोर करने के बजाय उसे 'ऊष्मा' यानी गर्मी के रूप में शरीर से बाहर निकालने के लिए प्रेरित करते हैं। इसका सीधा मतलब है कि शरीर ज्यादा कैलोरी जलाता है।

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कैसे काम करता है यह 'फैट बर्निंग' फॉर्मूला?

इस शोध के प्रमुख शोधकर्ता और एसोसिएट प्रोफेसर ट्रिस्टन रावलिंग ने इस प्रक्रिया को बहुत ही सरल तरीके से समझाया है:

  • कोशिका का पावर हाउस: माइटोकॉन्ड्रिया को अक्सर कोशिका का 'ऊर्जा केंद्र' या पावर हाउस कहा जाता है।
  • भोजन से ऊर्जा: इसका काम हमारे द्वारा खाए गए भोजन को रासायनिक ऊर्जा में बदलना है, जिसे विज्ञान की भाषा में ATP (एडेनोसिन ट्राइफॉस्फेट) कहते हैं।
  • रुकावट से फायदा: 'माइटोकॉन्ड्रियल अनकपलर' इस ऊर्जा बनने की प्रक्रिया में थोड़ी बाधा डालते हैं।
  • परिणाम: जब यह प्रक्रिया बाधित होती है, तो कोशिकाओं को अपनी ऊर्जा की जरूरत पूरी करने के लिए शरीर में जमा फैट का उपयोग करना पड़ता है, जिससे वजन कम होता है।

क्या यह सुरक्षित है?

अक्सर वजन घटाने वाली दवाओं के साइड इफेक्ट्स का डर रहता है, लेकिन इस शोध में सुरक्षा पर खास ध्यान दिया गया है। शोधकर्ताओं ने पाया है कि:"हल्के माइटोकॉन्ड्रियल अनकपलर ऊर्जा खपत की प्रक्रिया को केवल उस स्तर तक ही धीमा करते हैं, जिसे कोशिकाएं आसानी से सहन कर सकती हैं।"

इसका फायदा यह है कि शरीर पर कोई बुरा असर नहीं पड़ता और फैट भी कम होने लगता है। इस नई समझ से वैज्ञानिकों को यह जानने में मदद मिली है कि सुरक्षित अणु किस तरह अलग व्यवहार करते हैं, जिससे भविष्य में मोटापे के सुरक्षित इलाज की राह खुलेगी।







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