गन्ना देहरादून जिले की एक प्रमुख नकदी फसल है, जिससे बड़ी संख्या में किसान अपनी आजीविका चलाते हैं। जिले में लगभग 900 से 1000 हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती की जाती है और अच्छी आमदनी के कारण इसका रकबा लगातार बढ़ रहा है। हालांकि कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यदि किसान इंटरक्रॉपिंग सिस्टम अपनाएं, तो गन्ने से होने वाली आय को दोगुना या उससे भी अधिक किया जा सकता है। ढाकरानी स्थित कृषि विज्ञान केंद्र (KVK) द्वारा की गई एक स्टडी में यह सामने आया कि क्षेत्र के अधिकांश किसान या तो इंटरक्रॉपिंग नहीं कर रहे हैं या फिर ऐसी फसलें उगा रहे हैं, जिनसे बहुत कम मुनाफा होता है। इसी समस्या को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने गन्ने के साथ उड़द दाल की इंटरक्रॉपिंग का सुझाव दिया।
वैज्ञानिक परीक्षण से साबित हुआ फायदा
गहन शोध के बाद कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों ने एक हेक्टेयर भूमि पर चार बार ट्रायल और परीक्षण किए। इन परीक्षणों के परिणाम काफी उत्साहजनक रहे। इसके बाद इस तकनीक को बड़े स्तर पर लागू करने के लिए 227 किसानों की 163 हेक्टेयर भूमि को चुना गया। किसानों को आधुनिक खेती की तकनीक, बीज उपचार और फसल प्रबंधन की पूरी जानकारी दी गई।
आत्मा प्रोजेक्ट से मिली सहायता
इस पहल को ATMA (आत्मा) प्रोजेक्ट के तहत वित्तीय सहायता भी मिली। किसानों को 20 क्विंटल उड़द बीज, 7 क्विंटल बायो-फर्टिलाइजर सिम्बियन, 30 किलो ट्राइकोडर्मा उपलब्ध कराया गया। इस प्रयोग के लिए GB पंत कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय द्वारा विकसित उन्नत किस्म पंत उड़द-35 का इस्तेमाल किया गया।
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इंटरक्रॉपिंग में अपनाई गई तकनीक
इंटरक्रॉपिंग सिस्टम के तहत कुछ महत्वपूर्ण तकनीकी उपाय अपनाए गए, जैसे– बीजों का ट्राइकोडर्मा @ 5 ग्राम प्रति किलो बीज से उपचार, उड़द की फसल में फली छेदक कीट नियंत्रण के लिए एंडोसल्फान @ 2 मिली प्रति लीटर पानी का छिड़काव, मिट्टी में बायो-फर्टिलाइजर का संतुलित उपयोगए उड़द की बुवाई के 30 दिन बाद पहली सिंचाई की गई, जबकि दूसरी और तीसरी सिंचाई 10-10 दिन के अंतराल पर दी गई।
किसानों की बढ़ी कमाई, सामने आए सकारात्मक परिणाम
इस इंटरक्रॉपिंग मॉडल से औसतन 4.70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर उड़द का उत्पादन हुआ। सबसे बेहतर परिणाम प्रतीतपुरा गांव के किसान हरद्वारी लाल को मिले, जिन्होंने 5.70 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक उत्पादन प्राप्त किया। इस प्रयोग से किसानों को 5,500 से 10,750 रुपए प्रति हेक्टेयर तक अतिरिक्त आय हुई। इस तरह उनका आय-खर्च अनुपात 1:4.07 दर्ज किया गया। इसके अलावा कई किसानों ने बताया कि इंटरक्रॉपिंग से न केवल उड़द की अतिरिक्त आमदनी हुई, बल्कि गन्ने की पैदावार में भी सुधार देखने को मिला।
इंटरक्रॉपिंग के क्या हैं फायदे
अतिरिक्त आय: उड़द जैसी दलहनी फसल कम समय में तैयार होकर जल्दी पैसा देती है।
मिट्टी की उर्वरता: उड़द नाइट्रोजन फिक्स करती है, जिससे मिट्टी की गुणवत्ता सुधरती है
जमीन का बेहतर उपयोग: एक ही खेत से दो फसलों का लाभ मिलता है।
जोखिम कम: एक फसल खराब होने पर दूसरी से आय मिलती है।
कैसे करें इंटरक्रॉपिंग
बसंत में लगाए गए गन्ने के साथ उड़द की बुवाई करें। इसका अनुपात इस प्रकार रखें कि 1 पंक्ति गन्ना और 2 पंक्ति उड़द (2:1) या 3:2 अनुपात हो। गन्ना लंबा होने से पहले उड़द की कटाई कर लें। यही नहीं गन्ने के साथ अन्य फसलें भी उगाई जा सकती हैं जिसमें बसंत काल में मूंग, मक्का, ज्वार, प्याज, आलू, खीरा की खेती की जा सकती है। वहीं पतझड़ काल में लहसुन, मटर, राजमा की खेती कर सकते हैं।
किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में प्रभावी तरीका है इंटरक्रॉपिंग
गन्ने के साथ इंटरक्रॉपिंग किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक बेहद प्रभावी तरीका साबित हो रहा है। देहरादून के किसानों का अनुभव बताता है कि सही तकनीक और वैज्ञानिक सलाह अपनाकर किसान न केवल अपनी आमदनी बढ़ा सकते हैं, बल्कि भोजन और पोषण सुरक्षा भी सुनिश्चित कर सकते हैं। यह मॉडल अन्य गन्ना उत्पादक क्षेत्रों के किसानों के लिए भी एक प्रेरणादायक उदाहरण बन सकता है।

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