खंडवा: किसान अब पारंपरिक फसलों के साथ-साथ ऐसी फसलों की ओर भी रुख कर रहे हैं, जिनसे कम समय में बेहतर मुनाफा मिल सके. इसी कड़ी में सीजनल सब्जियों की खेती किसानों के लिए फायदेमंद साबित हो रही है. सब्जियों की खेती से किसान अपनी आमदनी आसानी से बढ़ा सकते हैं. इन्हीं सब्जियों में करेला भी शामिल है, जिसकी बाजार में सालभर मांग बनी रहती है. करेले में कई औषधीय गुण पाए जाते हैं, जिस वजह से इसकी खपत लगातार रहती है. खास बात यह है कि करेले की खेती में लागत कम आती है और आमदनी अपेक्षाकृत ज्यादा होती है. यही कारण है कि किसान इस फसल से अच्छी कमाई कर सकते हैं.
खंडवा के जय कृषि किसान क्लीनिक के एक्सपर्ट नवनीत रेवापाटी बताते हैं कि करेला बारिश और ठंड दोनों मौसमों में उगाई जाने वाली फसल है. रबी सीजन में इसकी बुवाई नवंबर से दिसंबर के बीच की जा सकती है. यह समय करेले की खेती के लिए अनुकूल माना जाता है. अभी लगाए गए करेले से किसान अच्छा उत्पादन ले सकते हैं.
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करेले की कौन सी किस्म बेहतर?
वह आगे बताते हैं कि करेला लगभग हर जगह उगाया जा सकता है लेकिन निमाड़ और मध्य प्रदेश की मिट्टी इसके लिए ज्यादा उपयुक्त मानी जाती है. जिन किसानों ने अभी तक यह फसल नहीं अपनाई है, उन्हें सीरियल फसलों के साथ-साथ इस सब्जी की खेती की ओर भी बढ़ना चाहिए ताकि आय में बढ़ोतरी हो सके. वह बताते हैं कि बेहतर उत्पादन के लिए किसान SW-835 और ननेमश जैसी वैरायटी लगा सकते हैं. ये किस्में अच्छी पैदावार देने वाली मानी जाती हैं. करेले की फसल में ज्यादा मेंटनेंस की जरूरत नहीं होती लेकिन रोगों पर नजर रखना जरूरी है.
ड्रिप और मल्चिंग से बढ़ेगा उत्पादन
रबी सीजन में करेले की खेती के लिए पंक्ति से पंक्ति की दूरी लगभग चार फीट और पौधे से पौधे की दूरी सवा फीट रखना उचित रहता है. ड्रिप और मल्चिंग पद्धति अपनाने से उत्पादन बढ़ता है और सिंचाई और खाद देना भी आसान हो जाता है. चूंकि इस फसल में बार-बार तुड़ाई होती है, इसलिए ड्रिप के जरिए फर्टिलाइजर देना किसानों के लिए फायदेमंद रहता है. एक्सपर्ट के अनुसार, बाजार में करेले को अच्छा भाव मिलता है. ऐसे में दिसंबर के ठंडे मौसम में इसकी खेती कर किसान कम समय में बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं. फिलहाल रबी सीजन में करेला किसानों के लिए एक लाभकारी विकल्प बनता नजर आ रहा है.

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