अगेती फसलों से चमक गई किस्मत, एक सीजन में ताबड़तोड़ कर रहा कमाई

अगेती फसलों से चमक गई किस्मत, एक सीजन में ताबड़तोड़ कर रहा कमाई

 खेती आज भी आजीविका का प्रमुख साधन है. जिले की लगभग दो तिहाई आबादी प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कृषि पर निर्भर है. जिले के सदर प्रखंड अंतर्गत चंदवार गांव के रहने वाले किसान रूपेश कुमार ने अगेती फसलों की खेती कर यह साबित कर दिया है कि सही योजना, मेहनत और तकनीक के सहारे खेती को मुनाफे का व्यवसाय बनाया जा सकता है.रूपेश कुमार पिछले कुछ वर्षों से पारंपरिक खेती से हटकर व्यावसायिक खेती की ओर कदम बढ़ा रहे हैं. खासकर अगेती सब्जी फसलों पर उनका फोकस रहा है. सर्दियों के मौसम के आगमन के साथ ही उन्होंने लगभग चार एकड़ भूमि पर अगेती मटर की खेती की. आमतौर पर मटर की फसल दिसंबर-जनवरी में बाजार में आती है, लेकिन अगेती किस्म का चयन कर और समय से पहले बुवाई कर उन्होंने अपनी फसल नवंबर के अंत से ही बाजार में उतार दी. इसका सीधा फायदा उन्हें यह मिला उनकी मिला उन्होंने 150 रुपए किलो तक अपनी मटर फसल बेची है.

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एक सीजन में कमाल का मुनाफा
रूपेश कुमार ने बताया कि वह पिछले 4 साल से खेती करते आ रहे हैं. इस साल पहली बार मटर की खेती लगाई थी. उन्होंने सोनाली वैरायटी की खेती लगाई थी. मटर की इस अगेती खेती में उन्हें बीज, खाद, सिंचाई, मजदूरी और अन्य खर्च मिलाकर करीब चार लाख रुपये का खर्च आया था. वहीं, फसल की बिक्री से उन्हें लगभग 7 लाख रुपये की आमदनी हुई. इस तरह उन्हें करीब 3 लाख रुपये का शुद्ध मुनाफा हुआ. यदि मौसम अनुकूल रहे और फसल में रोग का प्रकोप न हो तो मुनाफा और 2 लाख से अधिक का हो रहा है. व्यावसायिक खेती करने के कारण से व्यापारी उनके खेतों से ही आकर नगद फसल ले जाते हैं. उनकी फसल झारखंड बिहार से लेकर पश्चिम बंगाल के मंडियों तक पहुंची है.

विशेषज्ञों से सलाह लेना जरूरी
उन्होंने आगे बताया कि आज के समय में केवल पारंपरिक फसलों पर निर्भर रहना लाभकारी नहीं है. किसानों को बाजार की मांग के अनुसार फसल का चयन करना चाहिए और अगेती या उन्नत किस्मों की खेती अपनानी चाहिए. इसके साथ ही समय-समय पर कृषि विशेषज्ञों से सलाह लेना और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना भी जरूरी है. उन्होंने कहा कि अगेती फसलों की खेती से न सिर्फ किसानों की आय बढ़ती है, बल्कि बाजार में सब्जियों की आपूर्ति भी समय पर हो पाती है. इससे उपभोक्ताओं को भी ताजा सब्जियां उपलब्ध होती हैं. रूपेश कुमार की इस सफलता से गांव के अन्य किसान भी प्रेरित हो रहे हैं और अब वे भी अगेती सब्जी फसलों को भविष्य की योजना में इसे शामिल करना चाहते हैं.







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