कम वर्षा के बीच बेमेतरा जिले में फसल परिवर्तन से जगी नई उम्मीद,धान प्रधान जिले के सामने जल संकट की चुनौती

कम वर्षा के बीच बेमेतरा जिले में फसल परिवर्तन से जगी नई उम्मीद,धान प्रधान जिले के सामने जल संकट की चुनौती

बेमेतरा टेकेश्वर दुबे :  बेमेतरा जिला परंपरागत रूप से धान उत्पादन के लिए जाना जाता है, लेकिन पिछले वर्ष कम वर्षा और चालू वर्ष में अब तक केवल 452 मिलीमीटर वर्षा, जो सामान्य से काफी कम है, ने कृषि क्षेत्र के सामने गंभीर चुनौती खड़ी कर दी है। कम बारिश के कारण जल स्रोतों पर दबाव बढ़ा है और ग्रीष्मकालीन धान की खेती भविष्य के लिए जोखिमपूर्ण साबित हो सकती थी।

जिला प्रशासन की समय रहते पहल
जल संकट और संभावित जोखिमों को देखते हुए जिला प्रशासन ने समय रहते दूरदर्शी कदम उठाते हुए किसानों से ग्रीष्मकालीन धान के स्थान पर कम पानी में उगने वाली वैकल्पिक फसलों को अपनाने की अपील की। इस पहल में कृषि विभाग, मैदानी अमला और तकनीकी विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

जागरूकता और संवाद से बना विश्वास
जिला प्रशासन और कृषि विभाग द्वारा लगातार जागरूकता अभियान, ग्राम स्तर पर बैठकों और किसानों से निरंतर संवाद के माध्यम से फसल परिवर्तन की आवश्यकता को सरल भाषा में समझाया गया। परिणामस्वरूप किसानों ने प्रशासन की अपील पर भरोसा जताया और खेती के पारंपरिक ढर्रे से हटकर नई राह अपनाने का निर्णय लिया।

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10,017 हेक्टेयर में अपनाई गई वैकल्पिक खेती
इस सकारात्मक पहल का प्रभाव यह रहा कि जिले में इस वर्ष लगभग 10,017 हेक्टेयर क्षेत्र में दलहन, तिलहन एवं अन्य वैकल्पिक फसलों की खेती को अपनाया गया। वर्तमान में इन फसलों की बोनी का कार्य प्रगति पर है और अनुमान है कि 90 प्रतिशत से अधिक फसल परिवर्तन सफलतापूर्वक पूर्ण होगा।

कम पानी, कम लागत और समय पर आय
किसानों द्वारा चना, मूंग, उड़द, अरहर, सरसों जैसी फसलों का चयन किया गया है। इन फसलों से पानी की बचत के साथ-साथ खेती की लागत में कमी आई है और कम समय में फसल तैयार होने से किसानों को समय पर आय मिलने की संभावना बढ़ी है। इसके साथ ही भूमिगत जल संरक्षण, मिट्टी की उर्वरता में सुधार और कृषि जोखिम में कमी जैसे दीर्घकालिक लाभ भी प्राप्त होंगे।

कलेक्टर प्रतिष्ठा ममगाईं ने कि अपील
इस संबंध में कलेक्टर सुश्री प्रतिष्ठा ममगाईं ने कहा कि “कम वर्षा की स्थिति को देखते हुए फसल परिवर्तन आज की आवश्यकता है। जिला प्रशासन का प्रयास है कि किसानों को केवल वर्तमान संकट से उबारा जाए ही नहीं, बल्कि उन्हें भविष्य के लिए भी अधिक सुरक्षित और टिकाऊ कृषि पद्धति से जोड़ा जाए। किसानों ने वैकल्पिक फसलों को अपनाकर जागरूकता और समझदारी का परिचय दिया है। प्रशासन द्वारा उन्हें बीज, तकनीकी मार्गदर्शन और हर संभव सहयोग लगातार उपलब्ध कराया जा रहा है।”

किसानों में बढ़ा आत्मविश्वास
कई किसानों ने साझा किया कि पहले वे पूरी तरह धान पर निर्भर थे, लेकिन इस वर्ष वैकल्पिक फसलों को अपनाकर उन्हें नई सीख और आत्मविश्वास मिला है। समय पर बीज वितरण और कृषि विभाग की तकनीकी सलाह से किसानों का प्रशासन पर भरोसा और मजबूत हुआ है। कम वर्षा जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों में बेमेतरा जिले का यह फसल परिवर्तन मॉडल एक प्रेरणादायक उदाहरण बनकर उभरा है। यह पहल दर्शाती है कि सही समय पर लिया गया निर्णय, प्रशासन और किसानों की साझेदारी तथा बदलती परिस्थितियों के अनुसार खेती अपनाने की सोच किस प्रकार संकट को अवसर में बदल सकती है।

भविष्य के लिए मार्गदर्शक पहल
आने वाले समय में बेमेतरा जिले की यह पहल न केवल जिले के किसानों के लिए बल्कि अन्य जिलों के लिए भी मार्गदर्शक सिद्ध होगी, जिससे जल संरक्षण के साथ-साथ कृषि को अधिक टिकाऊ और लाभकारी बनाया जा सकेगा।







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