सरगुजा : सरगुजा जिले के शिक्षा विभाग में एक अजीबोगरीब स्थिति निर्मित हो गई है, एक मयान में दो तलवार वाली कहावत को चरितार्थ कर रही है। जहां जिला शिक्षा अधिकारी (DEO) और संयुक्त संचालक एक-दूसरे पर जिम्मेदारी का ठीकरा फोड़ रहे हैं। दरअसल मामला लखनपुर विकासखंड के प्रभारी सहायक विकासखंड शिक्षा विभाग का है। खंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में सहायक खंड शिक्षा अधिकारी ओहदे पर आलोक सिंह और मनोज तिवारी दो अधिकारी पदस्थ है। खंड शिक्षा अधिकारी (ABEO) मनोज तिवारी , जो अपनी मूल पदस्थापना पर लौटने को तैयार नहीं हैं। इस बीच, विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में दो-दो ABEO होने से प्रशासनिक कामकाज प्रभावित हो रहा जो जन चर्चा का विषय बना हुआ है। विभाग के आला अधिकारी कोई भी निर्णायक कदम उठाने को तैयार नहीं दिख रहे हैं।

मामले की शुरुआत 18 जनवरी 2023 से हुई, जब मनोज तिवारी को शिक्षक (LB) के पद से प्रभारी ABEO के रूप में लखनपुर में नियुक्त किया गया था। तिवारी की मूल पदस्थापना पूर्व माध्यमिक शाला ढोढाकेसरा में है, लेकिन युक्तियुक्तकरण(रेशनलाइजेशन) प्रक्रिया के बाद उन्हें मूल पद पर लौटना पड़ना था। बावजूद इसके बाद, तिवारी लखनपुर BEO कार्यालय से हटने का नाम नहीं ले रहे। सूत्रों के मुताबिक, किसी की भी इतनी हिम्मत नहीं हो रही कि उन्हें वहां से हटा सके।
सरगुजा संभाग के संयुक्त संचालक शिक्षा संजय गुप्ता ने इस मुद्दे पर DEO डॉ. दिनेश कुमार झा को पत्र लिखकर प्रभारी ABEO को हटाने का आदेश दिया। लेकिन DEO ने 26 दिसंबर 2025 को जवाबी पत्र में याद दिलाया कि प्रभारी ABEO की नियुक्ति का आदेश संयुक्त संचालक के कार्यालय से ही जारी हुआ था, इसलिए वे खुद ही उन्हें हटा सकते हैं। इस पत्राचार से साफ है कि दोनों अधिकारी एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालकर मामले को टालने की कोशिश कर रहे हैं।
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मजे की बात यह है कि लखनपुर विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में पहले से ही आलोक कुमार सिंह सहायक विकासखंड शिक्षा अधिकारी के पद पर पदस्थ हैं। ऐसे में मनोज तिवारी की मौजूदगी से दो ABEO वाली स्थिति बनी हुई है। तिवारी अपनी मूल पदस्थापना पर जाने को राजी नहीं, और संयुक्त संचालक भी उन्हें हटाने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे। इससे शिक्षा विभाग के कामकाज में असमंजस की स्थिति पैदा हो गई है, और ब्लॉक स्तर पर प्रशासनिक निर्णय प्रभावित हो रहे हैं।
शिक्षा विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया, "यह मामला उच्च स्तर पर राजनीतिक दबाव या प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा लगता है। जब तक कोई सख्त निर्देश नहीं आता, स्थिति यूं ही बनी रहेगी।" वहीं, स्थानीय शिक्षकों और अभिभावकों में इस मुद्दे को लेकर चर्चा जोरों पर है, क्योंकि इससे स्कूलों की गुणवत्ता और प्रशासन पर असर पड़ सकता है। सरगुजा जिला प्रशासन से इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि जल्द ही उच्चाधिकारियों की बैठक में इस पर फैसला लिया जा सकता है। क्या मनोज तिवारी अपनी कुर्सी छोड़ेंगे अथवा कुर्सी का जंग और लंबी चलेगी, यह देखना बाकी है। हम इस खबर पर नजर बनाए हुए हैं और आगे की अपडेट जल्द लाएंगे।

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