एमसीबी।मनेन्द्रगढ़ : नववर्ष की पूर्व संध्या पर मनेन्द्रगढ़ की फिज़ा रंग, रूप और रचनात्मकता से सराबोर नजर आई, जब नगर में परंपरागत बहरूपिया महोत्सव का भव्य आयोजन पूरे उत्साह, उल्लास और सांस्कृतिक गरिमा के साथ संपन्न हुआ। 31 दिसंबर की शाम आयोजित यह महोत्सव न केवल मनोरंजन का केंद्र रहा, बल्कि लोक कला, परंपरा और सामाजिक चेतना को सशक्त मंच प्रदान करने वाला एक महत्वपूर्ण आयोजन भी सिद्ध हुआ।कार्यक्रम की शुरुआत होते ही जैसे ही बहरूपिया कलाकारों ने विभिन्न रूप-रंग और वेशभूषा धारण कर मंच पर प्रवेश किया, दर्शकों की उत्सुकता चरम पर पहुंच गई। मंच पर कहीं पौराणिक पात्रों की जीवंत झलक देखने को मिली, तो कहीं समसामयिक सामाजिक विषयों पर आधारित किरदारों ने अपनी प्रभावशाली प्रस्तुति से लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया। कलाकारों की सजीव अभिव्यक्ति, सटीक संवाद अदायगी और भावपूर्ण हाव-भाव ने दर्शकों को पूरे कार्यक्रम के दौरान बांधे रखा।

बहरूपिया महोत्सव की सबसे बड़ी विशेषता यह रही कि इसमें बच्चों, युवाओं और बुजुर्गों—तीनों वर्गों की सक्रिय भागीदारी देखने को मिली। दर्शक दीर्घा में बैठे लोग हर प्रस्तुति पर तालियों की गड़गड़ाहट और उत्साह के साथ कलाकारों का हौसला बढ़ाते रहे। आयोजन स्थल पर देर शाम तक उत्सव और उमंग का माहौल बना रहा।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री श्यामबिहारी जायसवाल बहरूपिया कार्यक्रम में शामिल हुए और कलाकारों से मिलकर नए साल की बधाईयां दी। इस दौरान उन्होंने कलाकारों का हाल चाल भी जाना और बेहतरीन कला प्रदर्शन पर कलाकारों का उत्साह वर्धन किया। कलाकारों को बहरूपिया जैसी कला को जीवंत रूप देने के साथ नए साल की उमंग और संस्कृति, विरासत की मिलजुली प्रतिभा को देख मंत्री अभिभूत हुए और इसके बाद सांस्कृतिक कला मंच के पुरस्कार वितरण की ओर रवाना हो गए।
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मंत्री जायसवाल ने आयोजकों एवं कलाकारों की सराहना करते हुए इस परंपरा को जीवित रखने के लिए शासन स्तर पर हर संभव सहयोग का आश्वासन भी दिया। आयोजकों ने जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष आयोजित बहरूपिया महोत्सव में करीब 60 बहरूपिया कलाकारों ने प्रतियोगिता में भाग लिया। कलाकारों की एकल एवं सामूहिक प्रस्तुतियों ने कार्यक्रम को विशेष आकर्षण प्रदान किया। चयनित प्रतिभागियों को कुल 1.50 लाख रुपये से अधिक की इनामी राशि प्रदान की जाएगी, जिससे कलाकारों का उत्साह और मनोबल बढ़ेगा।
नववर्ष के आगमन से पहले आयोजित यह बहरूपिया महोत्सव मनेन्द्रगढ़ के लिए केवल एक सांस्कृतिक कार्यक्रम नहीं, बल्कि सांस्कृतिक गौरव और लोक परंपराओं के संरक्षण का प्रतीक बनकर उभरा। इस आयोजन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि जब परंपराएं उत्सव का रूप लेती हैं, तो वे समाज को जोड़ने, संस्कार देने और सांस्कृतिक चेतना को मजबूत करने का कार्य करती हैं।

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