गरियाबंद : साल 2025 का आख़िरी दिन, जैसे-जैसे सूरज क्षितिज की ओर झुकता गया, वैसे-वैसे एक पूरे साल की यादें, अनुभव और संघर्ष भी मानो विदा लेते नजर आए। आसमान में बिखरी सुनहरी और लाल रंगों की छटा ने 2025 की कहानी को बिना शब्दों के बयां कर दिया। डूबते सूरज को निहारते लोग इस पल को अपने मोबाइल कैमरों में कैद करते दिखे। साल 2025 का आखिरी दिन और अंतिम सूर्यास्त की ढलती सूरज की सुनहरी तस्वीर हमें गरियाबंद के चन्दन भुआर्य और आयुष वैष्णव ने भेजी है।
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किसी के लिए यह साल उपलब्धियों और सफलता की पहचान बनकर उभरा, तो किसी के लिए संघर्ष, धैर्य और सीख का प्रतीक रहा। लेकिन इस अंतिम सूर्यास्त के साथ एक भाव यह भी था कि बीते साल के दर्द, थकान और असफलताएं अब पीछे छूट रही हैं। जैसे ही सूरज पूरी तरह क्षितिज में समाया, ऐसा लगा मानो अंधेरे के पीछे एक नए सवेरे का वादा छुपा है—नए सपने, नई उम्मीदें और नई शुरुआत का संकेत। यही सूर्यास्त हमें यह सिखाता है कि हर अंत के साथ एक नया आरंभ तय होता है।
2025 को अलविदा कहते हुए, अब देश-दुनिया की निगाहें आने वाले नए साल 2026 पर टिकी हैं। उम्मीद है कि यह साल लोगों के जीवन में खुशहाली, शांति और प्रगति लेकर आएगा। नए साल का स्वागत उत्साह, उमंग और सकारात्मक सोच के साथ किया जा रहा है—इस विश्वास के साथ कि आने वाला सवेरा और भी उजला होगा।

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