एक ऐसी महिला जों सात घंटे तक मरी रही,स्वर्ग से लौटकर सुनाई अनोखी कहानी

एक ऐसी महिला जों सात घंटे तक मरी रही,स्वर्ग से लौटकर सुनाई अनोखी कहानी

जन्म और मृत्यु,ये दो ऐसे शब्द हैं जो हर इंसान की जिंदगी का हिस्सा हैं। कोई कितना भी चाहे, इनसे मुंह नहीं मोड़ सकता। लेकिन क्या आपने कभी सोचा कि जब हम इस दुनिया को अलविदा कहते हैं, तो उस पार क्या होता है? यह सवाल हमेशा से एक रहस्य रहा है। इसी रहस्य की एक परत को हटाने का दावा किया है जॉर्जिया की पाम रेनॉल्ड्स लॉरी ने, एक ऐसी महिला जिसने बताया कि वह सात घंटे तक 'मरी' रही और इस दौरान जो कुछ उसने देखा, वह किसी को भी हैरान कर सकता है।

सर्जरी के दौरान हुआ कुछ अनोखा

पाम रेनॉल्ड्स लॉरी, जो 35 साल की थीं, ने अपनी जिंदगी का सबसे चौंकाने वाला अनुभव साझा किया। यह सब शुरू हुआ एक ब्रेन सर्जरी से। पाम ने बताया कि ऑपरेशन के दौरान उन्हें एनेस्थीसिया दिया गया, जिसके प्रभाव से उनका शरीर तकनीकी रूप से मृत अवस्था में चला गया। उनका शरीर ठंडा पड़ गया था, दिल की धड़कनें रुक चुकी थीं, लेकिन उनकी कहानी यहीं खत्म नहीं हुई। पाम का दावा है कि इस दौरान उनकी आत्मा उनके शरीर से बाहर निकल आई। उन्होंने कहा, "मैं अपने शरीर को ऊपर से देख रही थी। मेरी आंखें बंद थीं, फिर भी मैं सब कुछ साफ-साफ देख सकती थी। डॉक्टर मेरी खोपड़ी में छेद कर रहे थे, और यह सब सात घंटे तक चलता रहा।"

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मौत के बाद की दुनिया का नजारा

पाम की कहानी सुनकर कोई भी सोच में पड़ जाए। उनका कहना था कि वह न सिर्फ अपने शरीर को देख रही थीं, बल्कि आसपास की हर हरकत को महसूस कर सकती थीं। "मैं सुन सकती थी कि लोग मेरे बारे में क्या बात कर रहे हैं। यह ऐसा था जैसे मैं वहां थी, फिर भी नहीं थी," उन्होंने बताया। पाम के मुताबिक, यह अनुभव इतना सजीव था कि उन्हें खुद पर यकीन करना मुश्किल हो गया। उनके लिए यह एक ऐसी दुनिया थी, जहां से वह इस दुनिया की हर चीज को देख सकती थीं, जैसे कोई अदृश्य दर्शक। क्या यह सचमुच स्वर्ग था? पाम इसे शब्दों में बयां नहीं कर पाईं, लेकिन उनके अनुभव ने इस सवाल को और गहरा कर दिया।

विज्ञान क्या कहता है?

ऐसे अनुभवों को सुनकर वैज्ञानिक भी हैरान हैं। इसे 'नियर-डेथ एक्सपीरियंस' (NDE) के नाम से जाना जाता है। कई विशेषज्ञों का मानना है कि यह मस्तिष्क की एक खास अवस्था हो सकती है, जो एनेस्थीसिया या ऑक्सीजन की कमी से पैदा होती है। लेकिन पाम की कहानी सिर्फ विज्ञान के दायरे में नहीं समाती। उनके शब्दों में एक ऐसी सच्चाई झलकती है, जो शायद अभी हमारे समझ से परे है। क्या यह आत्मा का सफर था या महज दिमाग का खेल? इस सवाल का जवाब अभी तक अधूरा है।

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