विशेष हवन पूजन के साथ चैत्र नवरात्र सम्पन्न ,देवी मंदिरों के पट हुये बंद..

विशेष हवन पूजन के साथ चैत्र नवरात्र सम्पन्न ,देवी मंदिरों के पट हुये बंद..

सरगुजा लखनपुर : शक्ति उपासना का महापर्व चैत्र नवरात्रि मनाये जाने का सिलसिला विशेष पूर्णाहुति के साथ 6 अप्रेल दिन रविवार को समाप्त हुआ।प्राचीन महामाया मंदिर भवानी मंदिर में महानवमी पर विशेष हवन पूजन की गई। सबेरे से माता भक्तों का तांता लगा रहा। नौ दिनों तक माता रानी के अलग-अलग रूपों शैलपुत्री ,ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा ,कूष्मांडा, स्कंदमाता, कात्यायनी, कालरात्रि ,महागौरी, और सिद्धिदात्री की पूजा अर्चना माता भक्तों ने नौ दिनों तक किये।

लखनपुर राज परिवार के विक्रमादित्य सिंह देव एवं कुंवर रणविजय सिंह देव ने नौ दिनों तक मंदिर पहुंच अपने कुल देवी मा महामाया के दर्शन पूजन कर आशिश प्राप्त किये। देवी मंदिरों में महा अष्टमी और नवमी तिथि को किये जाने वाले विशेष हवन पूजन के साथ चैत्र नवरात्रि का समापन हुआ। ग्राम जेजगा स्थित लोक देवी रामपुरहीन माई शक्ति पीठ में बैगाओ ने देवी के विशेष पूजा अर्चना कर सबके लिए सुख समृद्धि सम्पन्नता की कामना करते हुए अनुष्ठान कर आशीर्वाद प्राप्त किये।

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साथ ही क्षेत्र के आसपास देवी मंदिरों में महानवमी पर हवन पूजन किये गये ।देवी मंदिरो के दीप कक्षों में प्रज्वलित मनोकामना दीप कलशो को विसर्जित किया गया। घरों में जवारा बोकर नौ दिनों तक जगराता करने वाले माता भक्तों ने मांदर मृदंग के धुन पर जसगीत गाते हुये नदी तालाब जलसरोवरो में जवारा को विसर्जित किया।उपासक माता भक्तों ने आदि शक्ति के आशीर्वाद प्राप्त करने छोटे कन्याओं को भोज कराया।

श्रद्धालुओ ने पूर्णाहुति के साथ विन्यानवित भाव से देवी माता से सुख समृद्धि सम्पन्नता के लिए प्रार्थना किये। इस तरह से नौ दिनों तक चलने वाली चैत्र नवरात्रि सम्पन्न हुई।
मनाया गया प्रभु श्री राम का जन्मोत्सव सदियों से चली आ रही प्रथा को कायम रखते हुए नगर के प्राचीन राममंदिर (ठाकुर बाडी) में भगवान श्री राम का जन्मोत्सव मनाया गया।
इस मौके पर भक्तों ने प्रभु श्री राम माता सीता, लक्ष्मण के दर्शन पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किये। ठाकुर बाडी में दर्शनार्थियों की भीड़ लगी रही। पूजा आरती के बाद भक्तजनों को प्रसाद वितरण किया गया।

श्रद्धालु माता भक्तों ने ने शंकर मंदिर, हनुमान मंदिर अन्य देवालयों में पहुंच माथा टेक सुख सम्पन्नता के लिए ईश्वर से प्रार्थनाएं की।इस तरह से हिंदी नववर्ष में मनाया जाने वालाचैत्र नवरात्र का सफर समाप्त हुआ।








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