अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत समेत लगभग 50 देशों पर टैरिफ लगाने की घोषणा के कुछ दिनों बाद ही सोमवार यानी 7 अप्रैल को भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर और अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो के बीच फोन पर बातचीत हुई. जिसमें दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की स्थिति पर विचार-विमर्श किया.
जयशंकर ने सोशल मीडिया पोस्ट में बताया कि उन्होंने और रुबियो ने द्विपक्षीय व्यापार समझौते को जल्द से जल्द पूरा करने की अहमियत पर बात की. दोनों पक्षों ने इस बात पर सहमति जताई कि इस व्यापार समझौते को जल्दी से अंतिम रूप दिया जाए. यह बातचीत एक ऐसे समय पर हुई है जब अमेरिका के व्यापार प्रतिनिधि ब्रैंडन लिंच भारत का दौरा कर चुके हैं और दोनों देशों के बीच व्यापार समझौते को लेकर चर्चा हो चुकी है.
जयशंकर ने कहा, 'हमने द्विपक्षीय व्यापार समझौते की जल्द समाप्ति पर बात की है. मुझे उम्मीद है कि हम इस दिशा में जल्द आगे बढ़ेंगे." उन्होंने यह भी कहा कि वह रुबियो के साथ संपर्क में बने रहेंगे.
इंडो-पैसिफिक और अन्य वैश्विक मुद्दे
रुबियों से हुए फोन कॉल में सिर्फ व्यापार समझौता ही नहीं, बल्कि क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा हुई. जयशंकर और रुबियो ने इंडो-पैसिफिक क्षेत्र, भारतीय उपमहाद्वीप, यूरोप, पश्चिम एशिया और कैरेबियन क्षेत्र की स्थिति पर अपने दृष्टिकोण साझा किए. दोनों नेताओं ने इस बात पर भी जोर दिया कि इन क्षेत्रों में सहयोग और समन्वय की जरूरत है ताकि आपसी संबंध और मजबूत हों.
अमेरिका ने हाल ही में किया जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान
ट्रंप ने 'अमेरिका फर्स्ट' नीति के तहत उन सभी देशों और साझेदारों पर जवाबी टैरिफ लगाने का ऐलान किया है, जो अमेरिका से आयातित सामान पर टैरिफ लगा रहे हैं. इस फैसले के पीछे ट्रंप प्रशासन का मकसद व्यापार घाटे को कम करना और निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देना है. भारत पर अमेरिका ने 26 प्रतिशत टैरिफ लगाया है, जो पहले से लागू शुल्क के ज्यादा होगा. अमेरिकी अधिकारियों का कहना है कि भारत अमेरिकी सामानों पर अधिक टैरिफ लगाता है और इसलिए यह शुल्क लगाया गया है.
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