गुजरात की एक महिला ने नेचुरल फॉर्मिंग से कमाल कर दिया. महिला का नाम सुनीता चौधरी है. उन्होंने काले चावल की खेती से अच्छा-खासा मुनाफा कमा रही है. सुनीता 15 से अधिक अलग-अलग प्रकार के चावल की खेती करती हैं. इतना ही नहीं, सुनीता किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग भी देती हैं. वो अब तक 3000 से ज्यादा किसानों को ट्रेनिंग दे चुकी हैं.
4 हजार रुपए से की थी शुरुआत-
सुनीता चौधरी गुजरात के तापी जिले के कंजोद गांव की रहने वाली हैं. उन्होंने नेचुरल फॉर्मिंग की शुरुआत सिर्फ 4 हजार रुपए से की थी. उन्होंने शुरुआत में काले चावल की खेती की. सुनीता ने आधे एकड़ जमीन पर काले चावल की खेती की. इससे उन्होंने 150 किलोग्राम काला चावल उगाया. आपको पढ़कर हैरानी होगी कि उन्होंने 300 रुपए प्रति किलोग्राम के हिसाब से काला चावल बेचा. इससे सुनीता को 650 फीसदी का मुनाफा हुआ.
सुनीता चौधरी ने मिश्रित फसल को अपनाया और अपनी उपज में विविधता लाई. उन्होंने मिट्टी की नमी बनाए रखने के लिए मल्चिंग का इस्तेमाल किया. सुनीता खेतों में गोबर और मूत्र से बना बायो-फर्टिलाइजर का इस्तेमाल करती हैं.
15 किस्म के चावल की खेती-
सुनीता चौधरी फिलहाल 15 किस्म के चावल की खेती करती हैं. इसमें सोनामती किस्म भी शामिल है, जिसे इस क्षेत्र में नहीं उगाया जाता था. माना जाता था कि इस इलाके में सोनामती किस्म का चावल नहीं उगाया जा सकता है. लेकिन सुनीता ने कर दिखाया और सोनामती किस्म का चावल भी उगाती हैं. सुनीता के पास दूर-दूर से चावल खरीदने के लिए ग्राहक आते हैं. उस इलाके में सुनीता फेमस हो गई हैं.
किसानों को देती हैं ट्रेनिंग-
सुनीता चौधरी किसानों को प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग भी देती हैं. वो नेचुरल फॉर्मिंग के फायदे के बारे में दूसरे किसानों को बताती है. सुनीता ने अब तक 3 हजार से ज्यादा किसानों को प्राकृतिक खेती के बारे में ट्रेनिंग दे चुकी हैं. कई किसान प्राकृतिक खेती करने भी लगे हैं और उससे फायदा भी कमा रहे हैं.
साल 2013 में बदली खेती को लेकर सोच-
सुनीता चौधरी ने धैर्य और कड़ी मेहनत से अपना जीवन बदल दिया. उन्होंने साल 2013 में 'द आर्ट ऑफ लिविंग' के यूथ लीडरशिप ट्रेनिंग प्रोग्राम हिस्सा लिया. इसके बाद खेती को लेकर सुनीता की सोच बदल गई. उन्होंने प्राकृतिक खेती करने की ठान ली. सुनीता ने नेचुरल फॉर्मिंग के जरिए खुद के साथ दूसरे किसानों की जिंदगी भी बदल रही हैं.
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