कोई सोच भी नहीं सकता था कि कॉलेज में पढ़ाने वाली एक असिस्टेंट प्रोफेसर, खेत में भी कमाल कर सकती है. लेकिन हरियाणा की सोनिया दहिया ने ये कर दिखाया है. वो भी बिना नौकरी छोड़े. बायोटेक्नोलॉजी में गहरी पकड़ रखने वाली सोनिया, सोनीपत की रहने वाली हैं और एक सरकारी कॉलेज में पढ़ाती हैं. मगर कोरोना काल यानी साल 2020 में उन्होंने कुछ अलग करने की ठानी और शुरू की मशरूम की खेती.
कोरोना के वक्त जब सब कुछ ठप था, तभी सोनिया के दिमाग में एक नया आइडिया आया. उन्होंने इंटरनेट से मशरूम की खेती के बारे में पढ़ना शुरू किया. धीरे-धीरे रिसर्च करते हुए उन्होंने “डॉक्टर दहिया मशरूम फार्म” की नींव रखी. शुरुआती दिनों में लोगों ने शक जताया — “नौकरी और खेती एक साथ कैसे?” लेकिन सोनिया ने साबित कर दिया कि जब इरादे पक्के हों, तो दो नाव पर भी सवारी मुमकिन है.
ये भी पढ़े : बस से उतरवा दिए गए भगवा झंडे, भड़की बीजेपी,पूछा-क्या कोलकाता सीरिया बन गया है ?
40 लाख का इन्वेस्ट और टेक्नोलॉजी से खेती का मेल
सोनिया ने बिना किसी बड़े किसान बैकग्राउंड के सीधे 40 लाख रुपये का इन्वेस्टमेंट कर दिया. किसी के लिए भी ये बड़ा रिस्क होता, लेकिन बायोटेक्नोलॉजी की नॉलेज ने उनका रास्ता आसान कर दिया. आज उनका फार्म एकदम हाईटेक और कंट्रोल्ड एनवायरमेंट में चलता है, जहां खासतौर पर बटन मशरूम उगाए जाते हैं — वो भी बिना मौसम के झंझट के.
सोनिया का फार्म अब सिर्फ उनका नहीं रहा — वो अब गांव की महिलाओं को रोजगार भी देता है. हर महीने यहां से 10 टन तक मशरूम निकलते हैं, जिससे लाखों रुपये की आमदनी होती है. इस काम ने न सिर्फ सोनिया की आर्थिक स्थिति मजबूत की, बल्कि गांव की महिलाओं को भी आत्मनिर्भर बना दिया. जहां लोग सरकारी नौकरी को ही मंज़िल मान लेते हैं, वहीं सोनिया ने दिखाया कि नौकरी के साथ खेती भी की जा सकती है. वो अपनी टीचिंग जॉब और फार्म के बीच टाइम मैनेजमेंट ऐसे करती हैं जैसे कोई प्रोफेशनल CEO.
ये भी पढ़े : अदालत में वक्फ एक्ट 1995 को चुनौती देंगे : वकील विष्णु शंकर जैन
Comments