पंचांग के अनुसार, हर माह में आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि पर भगवान गणेश के लिए समर्पित मानी जाती है और इस दिन पर संकष्टी चतुर्थी का व्रत किया जाता है।साथ ही यह भी मान्यता है कि जो भी भक्त इस दिन पर श्रद्धाभाव से गणेश जी के निमित्त व्रत और विधि-विधान से उनकी पूजा करता है, उसके सभी कार्य बिना किसी बाधा के पूरे होते हैं। ऐसे में आप इस दिन पूजा के दौरान बप्पा की कृपा के लिए संकटनाशन गणेश स्तोत्र का पाठ कर सकते हैं। चलिए पढ़ते हैं यह स्तोत्र।
संकटनाशन गणेश स्तोत्र
प्रणम्य शिरसा देवं गौरी विनायकम् ।
भक्तावासं स्मेर नित्यमाय्ः कामार्थसिद्धये ।।
प्रथमं वक्रतुडं च एकदंत द्वितीयकम् ।
तृतियं कृष्णपिंगात्क्षं गजववत्रं चतुर्थकम् ।।
लंबोदरं पंचम च पष्ठं विकटमेव च ।
सप्तमं विघ्नराजेंद्रं धूम्रवर्ण तथाष्टमम् ।।
नवमं भाल चंद्रं च दशमं तु विनायकम् ।
एकादशं गणपतिं द्वादशं तु गजानन् ।।
विकट संकष्टी चतुर्थी के दिन गणेश जी की पूजा-अर्चना के दौरान संकटनाशन गणेश स्तोत्र का जप जरूर करें। इससे आपके ऊपर बप्पा की खास कृपा बनी रहेगी, जिससे आपको जीवन के कई कष्टों से मुक्ति मिल सकती है।
द्वादशैतानि नामानि त्रिसंघ्यंयः पठेन्नरः ।
न च विघ्नभयं तस्य सर्वसिद्धिकरं प्रभो ।।
विद्यार्थी लभते विद्यां धनार्थी लभते धनम् ।
पुत्रार्थी लभते पुत्रान्मो क्षार्थी लभते गतिम् ।।
जपेद्णपतिस्तोत्रं षडिभर्मासैः फलं लभते ।
संवत्सरेण सिद्धिंच लभते नात्र संशयः ।।
अष्टभ्यो ब्राह्मणे भ्यश्र्च लिखित्वा फलं लभते ।
तस्य विद्या भवेत्सर्वा गणेशस्य प्रसादतः ।।
इति श्री नारद पुराणे संकष्टनाशनं नाम श्री गणपति स्तोत्रं संपूर्णम् ।।
गणेश जी के अन्य मंत्र
अधिक लाभ के लिए आप विकट संकष्टी चतुर्थी की पूजा के दौरान गणेश जी के मंत्रों का जप भी जरूर करें। इससे साधक को सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।
1. श्री वक्रतुण्ड महाकाय सूर्य कोटी समप्रभा।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्व-कार्येशु सर्वदा॥
2. ॐ श्रीं गं सौभाग्य गणपतये।
वर्वर्द सर्वजन्म में वषमान्य नमः॥
3. ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि,
तन्नो दन्ति प्रचोदयात्॥
4. ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ग्लौं गं गणपतये
वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा॥
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