नई दिल्ली : दाऊदी बोहरा समुदाय के एक प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मुलाकात कर वक्फ (संशोधन) अधिनियम के लिए उनके प्रति आभार व्यक्त किया, जिसमें उनकी कुछ प्रमुख मांगों को शामिल किया गया है।
अधिकारियों ने कहा कि समुदाय के सदस्यों ने मोदी से कहा कि यह मांग वे लंबे समय से कर रहे थे क्योंकि उन्हें ‘सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास’ के उनके दृष्टिकोण पर भरोसा है।बैठक में उनके साथ अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रीजीजू भी थे।मोदी ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘दाऊदी बोहरा समुदाय के सदस्यों के साथ अच्छी बैठक हुई। हमने बातचीत के दौरान कई मुद्दों पर चर्चा की।"
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बातचीत में समुदाय के एक सदस्य ने मोदी को बताया कि उनका समुदाय 1923 से ही वक्फ नियमों से छूट की मांग कर रहा था। उन्होंने नए कानून के माध्यम से ‘‘अल्पसंख्यक के भीतर अल्पसंख्यकों’’ का ध्यान रखने के लिए प्रधानमंत्री की सराहना की।
इस दौरान एक अन्य सदस्य ने कहा कि उनके समुदाय ने 2015 में मुंबई स्थित भिंडी बाजार में एक परियोजना के लिए एक महंगी संपत्ति खरीदी थी और बाद में नासिक के एक व्यक्ति ने 2019 में वक्फ संपत्ति के रूप में इस पर दावा कर दिया था।उन्होंने प्रधानमंत्री से कहा कि उनकी सरकार ने इस तरह के चलन पर रोक लगा दी है।
दाऊदी बोहरा समुदाय शिया मुसलमानों में एक समृद्ध लेकिन कम आबादी वाला समुदाय है। भाजपा सांसद जगदंबिका पाल की अध्यक्षता वाली संसद की संयुक्त समिति के समक्ष समुदाय का प्रतिनिधित्व प्रसिद्ध वकील हरीश साल्वे ने किया था।
समिति की सिफारिशों के आधार पर ही विधेयक में कई नए संशोधन पेश किए गए थे, जिसे विपक्षी दलों के विरोध के बीच संसद में पारित होने के बाद अधिनियमित किया गया। उच्चतम न्यायालय वर्तमान में कानून की संवैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। सरकार ने इस कानून को वक्फ संपत्तियों की पारदर्शिता और कुशल प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण बताया है।
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