नई दिल्ली : ईसाई धर्म के लोगों के लिए गुड फ्राइडे काफी अहम होता है। इस साल यह दिन 18 अप्रैल को मनाया जा रहा है। हालांकि, यह दिन अपने नाम के विपरीत शोक मनाने का है। इसी दिन ईसा मसीह ने अपने धर्म की रक्षा के लिए अपने प्राण त्यागे थे।उनके इस बलिदान की याद में ही हर साल गुड फ्राइडे मनाया जाता है। इस साल 18 अप्रैल को यह दिन मनाया जाएगा। यह ईसाइयों के लिए एक पवित्र दिन है। आइए जानते हैं इस दिन का महत्व और क्यों इसे कहा जाता है गुड फ्राइडे-
क्यों मनाया जाता है गुड फ्राइडे?
गुड फ्राइडे ईसाई धर्म मानने वालों के लिए बेहद खास होता है। ईसा मसीह को शुक्रवार के दिन ही सूली पर चढ़ाया गया था, जिसे आज दुनिया भर के ईसाई गुड फ्राइडे के रूप में मनाते हैं। यह दिन पर यीशु मसीह की पीड़ा और मानव जाति के लिए उनके बलिदान को याद करने का समय है।
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क्यों कहलाता है गुड फ्राइडे?
अब सवाल यह उठता है कि आखिर दुख और शोक का दिन होने के बाद भी इस दिन को गुड क्यों (Why is Good Friday called good कहा जाता है। गुड फ्राइडे को "गुड" इसलिए कहा जाता है, क्योंकि ईसाइयों के लिए इस दिन का धार्मिक महत्व हैं। वह मानते हैं कि सूली पर यीशु की मृत्यु मानवता के पापों के लिए अंतिम बलिदान थी।
ईसाइयों के लिए, यह बलिदान प्रेम और मुक्ति के आखिरी काम को दर्शाता है और यह अच्छा है, क्योंकि यह ईस्टर पर उनके दोबारा लौटने का प्रतीक है, जो ईसाइयों के लिए सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक अवकाश है।
इसके अलावा एक और सिद्धांत के मुताबिक गुड फ्राइडे में "गुड" शब्द का मूल अर्थ पुरानी अंग्रेजी के मुताबिक है, जहां इसका मतलब पवित्र है। इसलिए गुड फ्राइडे को कभी-कभी पवित्र शुक्रवार भी कहा जाता है।
कैसे मनाया जाता है गुड फ्राइडे?
गुड फ्राइडे को दुख, तपस्या और उपवास का दिन माना जाता है। इस दिन कई ईसाई समुदायों में, गुड फ्राइडे की सेवाएं चर्चों में आयोजित की जाती हैं। इस दौरान यीशु के सूली पर चढ़ने को पाठ, भजन और प्रार्थनाओं के जरिए याद किया जाता है। इसके अलावा इन सेवाओं में अक्सर जीजस की पैशन स्टोरी का भी पाठ शामिल किया जाता है, जिसमें यीशु के बलिदान के साथ-साथ सूली पर उनके आखिरी शब्दों का वर्णन किया जाता है। वहीं, कुछ ईसाई गुड फ्राइडे पर प्रायश्चित के लिए उपवास या नॉनवेज से परहेज भी करते हैं।
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