रायपुर : शहरी इलाकों के साथ अब उच्च रक्तचाप और मधुमेह की शिकायत ग्रामीण क्षेत्रों में भी बढ़ने लगी है। सरकारी आंकड़ों के हिसाब से रायपुर जिले में ही 91566 बीपी और 49239 शुगर के मरीजों यानी कुल 1.40 लाख लोगों का उपचार चल रहा है।
विभागीय स्तर पर 40 दिनों तक चलाए गए अभियान के दौरान दोनों बीमारियों के 35 हजार से अधिक पीड़ितों को खोजा गया था। चिकित्सकों की मानें तो बीपी-शुगर की समस्या अब लाइफस्टाइल में शामिल होने वाली बीमारी बन चुकी है, मगर दोनों तरह की दिक्कतों को अगर नजरअंदाज किया गया तो इसका दुष्परिणाम हो सकता है। दोनों परेशानियों को संयमित जीवनचर्या और आवश्यक दवाओं के उपयोग से नियंत्रित किया जा सकता है।
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स्वास्थ्य विभाग द्वारा इसी उद्देश्य परेशानियों को संयमित से पिछले दिनों सरकारी अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाले मरीजों की जांच कर दोनों तरह की समस्याओं से पीड़ित नए लोगों की पहचान की गई है। 40 दिन चलाए गए अभियान के दौरान कुल 6 लाख लोगों की जांच की गई, जिसमें हाई बीपी के मरीजों की संख्या 19840 तथा मधुमेह पीड़ितों की संख्या 15751 रही। कुल 35 हजार 591 पीड़ितों में करीब 15 हजार लोग ग्रामीण इलाकों के स्वास्थ्य केंद्र से संबंधित थे। ग्रामीण क्षेत्रों के साथ शहरी इलाकों भी सामने आए नए मरीजों को पुराने पीड़ितों की तरह दोनों समस्याओं को नियंत्रित करने के लिए काउंसिलिंग की गई, साथ ही जरूरतमंद मरीजों को निशुल्क दवा भी उपलब्ध कराई गई।
30 साल से अधिक उम्र वालों की जांच
स्वास्थ्य केंद्रों में चलाए 40 दिन के जांच अभियान के दौरान ओपीडी में आने वाले 30 साल से अधिक आयु वाले मरीजों की जांच की गई थी। पीएचसी स्तर के चिकित्सकीय स्टाफ को निर्देशित किया गया है कि इस आयुसीमा वाले तमाम मरीजों की अन्य बीमारियों के साथ उनके बीपी-शुगर की जांच की जाए। अगर वे पीड़ित मिलते हैं तो उन्हें आवश्यक दवा उपलब्ध कराने के साथ उपचार की प्रक्रिया में शामिल किया जाए।
फिजिकल एक्टिविटी और नशे की लत प्रमुख कारण
चिकित्सकों के मुताबिक, दोनों तरह की समस्या बढ़ने की मुख्य वजह फिजिकल एक्टिविटी में कमी आना है। इसके अलावा अनियमित जीवनशैली के साथ मानसिक अवसाद भी इसका बड़ा कारण है। इसके अलावा नशे की लत के कारण भी दोनों तरह की बीमारियां शहर के साथ ग्रामीण इलाकों में भी पैर पसार रही हैं। इन्हें नियंत्रित करने के लिए बुरी आदतों से दूर रहने के साथ खानपान को भी नियंत्रित करना आवश्यक है।
शुरुआती दौर में नियंत्रण ही उद्देश्य
रायपुर सीएमएचओ डॉ. मिथिलेश चौधरी ने बताया कि, बीपी-शुगर की समस्या का अगर शुरुआती दौर में पता चल जाए तो इसे नियंत्रित किया जा सकता है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर जांच अभियान चलाया गया। जो पीड़ित सामने आए हैं, उन्हें आवश्यकता के अनुसार उपचार दिया जा रहा है।
प्रत्येक मरीज के बीपी की जांच
अपनी किसी भी तरह की समस्या के इलाज के लिए प्राथमिक से लेकर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में आने वाले मरीजों की अनिवार्य रूप से ब्लडप्रेशर जांच करने के निर्देश चिकित्सकीय स्टाफ को दिए गए हैं। उन्हें इस बात की हिदायत भी दी गई है जांच में अनियमितिता पाए जाने पर मरीज को इसकी जानकारी देकर आवश्यक चिकित्सकीय सलाह भी उपलब्ध कराई जाए।
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