कश्मीर की कहानी : जब कश्मीर की आबादी कभी होती थी हिंदू बहुल तो कैसे बनी मुस्लिम ?

कश्मीर की कहानी : जब कश्मीर की आबादी कभी होती थी हिंदू बहुल तो कैसे बनी मुस्लिम ?

 पहलगाम हमले के बाद कश्मीर हर एक चर्चा का केन्द्र बिंदु बना हुआ है। वही कश्मीर, जिसे हिंदी में धरती का स्वर्ग, उर्दू में ज़मीन की ज़ीनत और अंग्रेजी में हेवन ऑफ द अर्थ कहा जाता है।वही कश्मीर, जो केसर की क्यारी के तौर पर दुनिया भर में मशहूर है। जिसकी खूबसूरती को शब्दों में न तो खुसरो बयां कर सके न जहांगीर। लेकिन, एक सच यह भी है कि कश्मीर की यही खूबसूरती इसकी दुश्मन भी है।

कश्मीर में फिलहाल मुस्लिम बहुसंख्यक हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि एक वक्त ऐसा भी था जब कश्मीर में केवल हिंदू आबादी हुआ करती थी। शासक भी हिंदू था। फिर सवाल यह है कि यहां मुस्लिम कहां से आए? कश्मीर का पहला मुस्लिम शासक कौन हुआ? इन सवालों का उत्तर खोजने के लिए अतीत के तकरीबन 700 पन्ने पलटने होंगे।

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यहां से शुरू होती है कहानी

लगभग 700 वर्ष पूर्व कश्मीर में सहदेव नाम का एक हिन्दू राजा था। उसे न तो अपनी प्रजा की चिंता थी और न ही शासन चलाने में रुचि थी। उसके प्रधानमंत्री और सेनापति रामचंद्र सहदेव के नाम पर शासन चलाते थे। रामचंद्र की अत्यंत सुंदर और बुद्धिमान पुत्री कोटा भी इसमें उसकी सहायता करती थी।

कश्मीर पहुंचा राजकुमार रिनचेन

एक दिन तिब्बती राजकुमार रिनचेन कश्मीर आया। उसके साथ सैकड़ों सशस्त्र सैनिक थे। रिनचेन ने रामचंद्र को बताया कि उसके पिता गृहयुद्ध में मारे गए हैं। वह जोजिला दर्रे के रास्ते जान बचाकर यहां पहुंचा था। रामचंद्र ने रिनचेन को कश्मीर में शरण दे दी।

मंगोल सेनापति ने किया आक्रमण

प्रसिद्ध कश्मीरी इतिहासकार पृथ्वीनाथ कौल बामजई अपनी पुस्तक ‘ए हिस्ट्री ऑफ कश्मीर’ में लिखते हैं कि इसी दौरान 1320 ई. में जुलचू नामक मंगोल सेनापति ने कश्मीर पर आक्रमण कर दिया। राजा सहदेव बिना युद्ध किए किश्तवाड़ भाग गए। जुलचू ने 8 महीने तक कश्मीर में खूब उत्पात मचाया। लेकिन लौटते समय वह अपनी सेना के साथ दिवासर परगना की चोटी के पास बर्फीले तूफान में दब गया।

रिनचेन की रामचंद्र की हत्या

इस घटना के बाद कश्मीर पर सीधे रामचंद्र का शासन था, जो सहदेव के प्रधानमंत्री थे। तिब्बती शरणार्थी राजकुमार रिनचेन ने अवसर का लाभ उठाया और विद्रोह कर दिया। रामचंद्र को मार कर कश्मीर की गद्दी पर बैठ गया। उसने रामचंद्र की बेटी कोटा से विवाह का प्रस्ताव रखा, लेकिन वह अपने पिता के हत्यारे से विवाह करने के लिए तैयार नहीं थी।

रिनचेन बन गया मुसलमान

काफी अनुनय-विनय के बाद कोटा आखिरकार रिनचेन की रानी बनने के लिए तैयार हो गई। रिनचेन खुद को बौद्ध लामा मानता था, रानी कोटा चाहती थी कि वह हिंदू बन जाए। हालांकि, उसने इस्लाम धर्म अपना लिया और इस तरह कश्मीर को अपना पहला मुस्लिम शासक मिला।

रिनचेन ने इस्लामिक अपना नाम सुल्तान सदर-उद-दीन रख लिया और एक मुस्लिम के रूप में कश्मीर पर शासन करना शुरू किया। कहा तो यह भी यह जाता है कि रिनचेन के इस्लाम अपनाने के बाद से ही कश्मीर में धर्मपरिवर्तन का गंदा खेल चल पड़ा। धीरे-धीरे यह बढ़ता गया और 700 साल बाद आज आलम यह है कि कश्मीर में हिंदू अल्पसंख्यक हो गया।

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